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जनता के मूल्यांकन में विरले ही माननीय उतर पाते हैं खरा,उत्तर प्रदेश में जातीयता की राजनीति हो रही कमजोर,मतदाता हो चुके हैं बेहद समझदार और जागरूक

मडियाहू। जौनपुर। जातीयता की राजनीति कमजोर हो रहीं हैं। उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव होना है।तारीख के समय का लोगों को इन्तजार है। राजनैतिक दल अभी तक प्रत्याशीओ के नाम को उजागर नहीं किये हैं। ऐसा लग रहा है इस बार के विधान सभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने की गणित अभी तक फीट्ट नहीं हो पा रहीं हैं।इस बार के चुनाव में जातीय मिथ्थक टूटेगा।मतदाता बेहद जागरूक है।उनकों पता है दल और उनसे जुड़े लोगों के राजनीति करने के मायने क्या हैं। चुनाव नजदीक आया तो सम्मान का भाव जाग उठा। स्वार्थ और परमार्थ की राजनीति क्या है जनता इसे बखूबी जानने लगीं है। दिखावे के सम्मान का प्रचलन बढ़ा हैं।ऐसा आव,भाव दिखाया और बनाया जा रहा है कि मालूम पड़ रहा हैं 2022 का विधान सभा चुनाव नजदीक है।जाति की राजनीति करने वाले लोग अपने,अपने जाति का भी भला नहीं कर पा रहे हैं इतना जरूर है जाति के नाम पर तो अपनी मुराद को पूरी कर लेते हैं वह भी एकाध बार,बार,बार नहीं।उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहले जात,पात का बोलबाला था। अब भी है उतना नहीं। जनता समाज में विकास और शांति कायम रखने वालीं सरकार को पसंद कर सकती हैं।ऐसी प्रकृति बनती दिख रहीं हैं। राजनैतिक दलों को उम्मीदवारों के चयन में खास सोच रखनी होगी।उम्मीदवार ऐसा हो कि जमीनी जुड़ाव का हो और परमार्थी होने के साथ,साथ व्यवहार कुशल हो,समानता का भाव हो,मंगलकारी सोच हो,जनता भी अच्छे प्रत्याशियो का साथ देगी ऐसी संभावना है। जनता कार्यकाल की पूरी तरह से मानीटरिंग करतीं हैं जिसे विधान सभा में चुनकर भेजती है। उसके कर्म और अकर्म पर उसकी नजर रहतीं है। जनता के मूल्यांकन में विरले ही माननीय खरें उतर पाते है।समय आने पर जनता जबाब देती हैं। जेडी सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर

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