जौनपुर। 30 मई पत्रकारिता दिवस का अवसर है। वर्तमान समय जिसकी गति प्रकृति नियम तहत चलायमान है। आधुनिकता के चरम से उपर पत्रकारिता सोशल मीडिया के इर्द-गिर्द घूम रहीं है। तरह, तरह के विचारों,भावनाओं की व्यापकता का मूल्यांकन हो रहा है। नाकारात्मक और साकारात्मक दोनों पहलू आमने-सामने है। अनीति पर सरकार की नजर है। वायरल का प्रकोप है। इन्टरनेट की दुनिया का बहार है। देश और दुनिया का चरित्र और चिन्तन झलक रहा है। नवीनता का आचरण पत्रकारिता जगत को कलंकित करने की ओर है। पुरातन और नूतन के अपने अपने मायने है। जैसे आज और कल। व्यापकता अनिष्टता की ओर बढ़ चलीं है। मानव जीवन व्याकुल है। आतुरता की चाह में सत्य पथ से विचलित होकर अमर्यादित तौर तरीकों को अपनाकर प्रकृति में खलल मचाने का काम किया जा रहा है। शांति की जगह अशांति ने अपनी पैठ बना ली है। खामियाजा में मनुष्य का जीवन स्थिर नहीं है। मन के उड़ान की चचंलता उलझ और पुलझ जा रहा है। पत्रकारिता का सही मायने में जो जनमानस में बोध होना चाहिए हो नहीं पा रहा है। अनैतिक और नैतिक के बीच जंग जारी है। पत्रकारिता पर राजतंत्र हावी होता दिख रहा है। सत्य बोलना, लिखना, बहुत ही जोखिम का काम है। सोशल मीडिया के नेचर में गुणवत्ता का अभाव है। सत्य और तथ्य की कमी है। प्रिंट मीडिया के पास पत्रकारिता का सही मापदंड है,जिसके चलते आज भी उसकी विश्वसनीयता बनीं है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया फटाफट खबरों के दौर से गुजर रहीं है। उसकी पत्रकारिता की शैली से डिबेट को बढ़ावा मिला है। एक ही खबरों को बार, बार टीवी स्क्रीन पर दिखाना इसको लोग कम पसंद कर रहे है। पत्रकारिता नवीनता के बेग में चौंधिया गयीं है। सही रास्ते की तलाश जारी है। जिससे पत्रकारिता के बजूद को बचाया जा सके। जेडी सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर
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