जौनपुर। सोशल मीडिया भारत देश के लोगो के लिए बहुत घातक साबित हो सकती है। जिसका अन्दाजा नहीं लगाया जा सकता है। इसके दो पहलू है सूचना तन्त्र बेहद मजबूत हुआ है। लोगो का एक दूसरे से जुड़ाव भी हुआ है। सोशल मीडिया की कुछ बातें दिल को सुकून और शांति देने वाली होती है तो कुछ बातें अशांति उत्पन्न करतीं है। माना कि कोई किसी से बात कर रहा है तो बहुत सजग होकर बात कर रहा है। मन में भरा पड़ा गुबार पहले लोग आपस में बतिया करके निकाल लेते थे। लोगो के जेहन में अब वायरल शब्द का डर समा गया है। कोई किसी से बात करता है तो वह विश्वास और भरोसा करता है। सोशल मीडिया के बहुतों लोग सज्जन है जो बात रिकार्डिंग को अच्छा नहीं मानते है। सोशल मीडिया में अच्छी खासी दिमागी शातिरो की घुसपैठ हो गयी है। जो सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे है। उनकी सोच ही अहितकर है। राष्ट्र, समाज, देश के लोगो को भ्रमित करना उनका ध्येय बनता जा रहा है। सोशल के साथ मीडिया शब्द जोड़कर भारत देश की मूल पत्रकारिता को विनष्ट करने की विदेशी साजिश कामयाब होती दिख रहीं है। भारत की पत्रकारिता विश्व जगत के लिए दर्पण है। जिस पर पूरा विश्वास किया जाता है। प्रिन्ट मीडिया की देन है भारत का साहित्य जिन्दा है। सोशल के साथ मीडिया शब्द जोड़ कर पत्रकार और पत्रकारिता को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।जीवन को सुकून से जिया जाय तो बेहतर है। जेडी सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर
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