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दूसरे के कन्धे पर बंदूक रखकर न चलाये,अनिष्ट हो सकता है,दानव बनकर मानव को कष्ट देने वालो की संख्या मे इजाफा

जौनपुर। आज की होशियारी मे दूसरे के कन्धे पर बंदूक रखकर दागने की प्रथा ने जोर पकड़ लिया है,गांव हो या शहर यह कुप्रथा तेजी से पनप रही है,भारतीय समाज के कुछ लोग जरुरत से ज्यादा खुद को विवेकी और होशियार समझते है,कुछ ट्रको पर लिखा रहता है सटल त गईल बेटा,उचित दूरी बना के रहिये, दर असल मानव समाज मे कुछ ऐसी महान विभूतिया है जिनका अनैतिकता से पूरा सरोकार है,वह दिन रात अनैतिकता को बढ़ावा दे रहे है,नैतिक लोग नैतिकता को बढ़ा दे रहे है,अनैतिक लोग अनैतिकता को बढ़ावा दे रहे है,अनैतिक लोग नैतिक लोगो के कन्धे पर बंदूक रखकर दागने की पूरी कोशिश कर रहे है,सावधानी हटी तो दुर्घटना घट सकती है,समाज मे रहना है, लोगो से बातचीत करना है, व्यवहार भी रखना है,ऐसे मे बहुत ही सतर्क होकर जीवन यापन करना होगा नही तो होशियार लोग कब कहा किस जाल मे फास देगे समझते,समझते काफी देर हो सकती है,खुद की सुरक्षा के लिए खुद बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है,सज्जनता का अपना पैमाना है जो ईश्वर को पंसद है,जबकि दुर्जनता मे आयु क्षीण होती है और नाना प्रकार की दुश्वारिया जीवन को नरक बना देती है,सज्जनता दिव्य आनंद की अनुभूति प्रदान करती है। इन्सान है तो इन्सानियत के पुजारी बने,मानव है तो मानवता की सेवा का मिशाल बने,दानव बनकर मानव को कष्ट देने वालो की संख्या मे इजाफा हुआ है दीनता का प्रतिमूर्ति बनकर साक्षी भाव मे ईश्वर से नेह लगाकर खुद का और दूसरो का कल्याण करना ही ईश्वरीय बोध है,दर्शन है,कृपा करके दूसरे के कन्धे पर बंदूक रखकर न चलाये,अनिष्ट हो सकता है। जेडी सिंह संपादक

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