जौनपुर। नूतन वर्ष मंगलमय के शुभकामनाओ के साथ जनवरी माह का आज प्रथम दिन है। मानव समाज के लोगो मे अपार खुशी का मंजर दिख रहा है। बदला क्या,नया साल आया। जो पिछले साल था वही नये साल मे भी है। विचार धारा पहले की तो है। झूठ बोलना है। बेईमानी करनी है। अन्याय करना है। कमजोर को सताना है। अपने आगे किसी को कुछ नही समझना है। धन कमाने की लालसा और बड़े आदमी बनने की होड लगी है। अनैतिकता चरम पर है। इन्सान के बात की वैल्यू नही रही। कहता कुछ है करता कुछ है सोचता कुछ है। है कुछ और दिखावा कर रहा है कुछ और का। नफरत के आग मे लोग जल रहे है। भाईचारा खत्म होने की ओर है। लोग संस्कार विहीन होते जा रहे है। परिवार बिखर कर टूटता जा रहा है। भाई, भाई के जान का दुश्मन बन बैठा है। समय अपनी गति से चल रहा है। साथ मे माया अपनी लीला कर रही है जिसमे अच्छाई कम बुराई कुछ ज्यादा है। दिन और साल संवत समयानुसार बदलता रहता है। इन्सान बदले और उसकी विचारधारा मानवता और इन्सानियत की हो तो बात ठीक है। इन्सान के मन मे बिषमता रुपी कचडा भरा है। जो अन्दर है वही न लोग बाहर निकालेगे। भ्रष्टाचारी इन्सान से सभ्य समाज के सृजन की कल्पना कैसे की जा सकती है। खुश हर वक्त हर दिन रहना चाहिए और दूसरो मे खुशिया बाँटना चाहिए। जैसे आज नये वर्ष पर कर रहे है। इस धरती पर सभी मानव अपने है पराये नही है। जब सभी प्रकृति से जुड़े है और प्रकृति के है और प्रकृति मे मिल जाना है। समूची दुनिया मे जात, पात धर्म मजहब के नाम पर झगड़े है। सत्यवादी परेशान है,अन्यायवादी मजे लूट रहे है। सोच मे एक दूसरे के कल्याण की भावना होनी चाहिए और अपना जीवन स्तर उचा उठ रहा है तो दूसरे का भी सहयोग करके जीवन स्तर को उपर उठाना चाहिए। खुद गरीबो का हक मारके अमीरजादे बन गये अब रुतबा थमने का नाम नही ले रहा है। जेडी सिंह