जौनपुर। रामनगर विकास खण्ड के बहरी ग्राम सभा के पूर्व प्रधान इन्द्रमणि पाठक ने बातचीत के दौरान कहा कि मानवीय सामाजिक व्यवस्था मे पहले का एक दौर कभी ऐसा भी था,जो व्यक्ति अमर्यादित कार्य करता था उसका उसके ही समाज के लोग बेमुरवत तिरस्कार कर देते थे। बिरादरी से निकला व्यक्ति अलग, थलग पड़ जाता था और उसको गलती का बार,बार आभास होता रहता था। पहले इज्जतदारो की कद्र थी। शराफत के चर्चे थे, उन्हे शरीफ आदमी कहा जाता था। आज जो समय चल रहा है उसमे शरीफ सताये जा रहे है,उनको पीड़ा पहुंचाया जा रहा है। उनकी सुनवाई न के बराबर है, गलत हो रहा है लोग देख रहे है जान रहे है। बाबजूद कोई आवाज नही उठा रहा है। पहले शरीफ आदमी गलत का विरोध करता था और उसकी शराफत की चर्चा होती थी। नेकी और ईमानदारी से लोग जीवन यापन करते थे,इन्सानियत और मानवता था।आज अच्छे और सत्यनिष्ठ ,ईमानदार आदमी की न तो कही कद्र है न ही पूछ है। वह डरे है सहमे है अत्याचार, अनाचार, पापाचार चरम पर है। सामाजिक सुधार के लिए कुछ बोलना चाहते है लेकिन मौन है कौन सर पर आफत मोल ले,बुरे लोग जीना दुश्वार कर देगे।
अब तो बुरे लोगो का जमाना है। चारो तरफ उनकी जयजयकार है। जलवा है। जो जितना बड़ा दुराचारी है उतना महान है। पहले भारत धर्म और शर्म प्रधान देश था। धर्म का मतलब अच्छाई से था। बड़े छोटो मे संस्कार था दुलार था,गलत कार्य से लोग बचते थे। क्योंकि जो सामाजिक शर्मिन्दगी थी। आज न लाज है न शर्म है। बेहिसाब अमर्यादित मानव जीवन होता जा रहा है। मर्यादित सोच को बढ़ावा देने के लिए सबको सामने आना पड़ेगा। तभी मानव समाज और राष्ट्र का कल्याण संभव है। लालच बुरी बलाय, धन कमाने का जरिया ईमानदारी का होना चाहिए,आज धन के पीछे लोग इस कदर भाग रहे है कि गरीबो के हक को भी छीनने मे पीछे नही है। अनैतिकता से धन कमाकर महान बनने वालो के दिन जाने वाले है। भारत देश की सदैव से एक संस्कृति है,जिसमे बुराई पर अच्छाई की जीत होती आ रही है। जेडी सिंह
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