BREAKING NEWS
Home / सुर्खियां / धर्म का आचरण करने पर वातावरण होता है शुद्ध, तीन बजे भोर से सुबह 6 बजे तक प्रतिदिन रहता है सतयुग, राम- राम बेला मे लोग झूठ नही बोलना चाहते,संत मुरलीधर दास इटियाबीर

धर्म का आचरण करने पर वातावरण होता है शुद्ध, तीन बजे भोर से सुबह 6 बजे तक प्रतिदिन रहता है सतयुग, राम- राम बेला मे लोग झूठ नही बोलना चाहते,संत मुरलीधर दास इटियाबीर

जौनपुर। राधाकृष्ण मंदिर इटियाबीर रामनगर के संत मुरलीधर दास( बालक दास) ने कहा कि संत सिमरन भजन के साथ तपस्या करते है। धर्म का आचरण करने से देवताओ को बल मिलता है। जिससे वर्षा होती है। अन्न उपजता है। वातावरण शुद्ध होता है। बताया की सृष्टि दो है। धर्म का आचरण करने पर मनुष्य मे देव वृत्ति आता है। कल्याणकारी सोच उत्पन्न होता है। दूसरे को कष्ट देना आसुरी प्रवृत्ति हो गया।इस प्रकार मानव और दानव दो की सृष्टि हुई। उन्होंन कहा कि सतयुग मे देव प्रधानता रहा। यज्ञ पूजा पाठ का प्रचलन रहा। बताया कि त्रेतायुग मे यज्ञ होता था। द्वापर मे मूर्ति पूजा,वृक्ष मे नीम,पीपल, बरगद की पूजा होना प्रारंभ हुआ जो वर्तमान मे भी जारी है। कलयुग मे भजन सिमरन पूजा पाठ का दौर चल रहा है। उन्होंन कहा कि कलयुग का उम्र 4 लाख 32 हजार वर्ष का है। अभी 5 हजार 123 वर्ष बीता है। कहा कि तीन बजे भोर से सुबह 6 बजे तक सतयुग है। महसूस करिये। सुबह-सुबह कोई भी व्यक्ति झूठ नही बोलना चाहता है। लोग बोलते है। राम राम का बेला है। यह वही समय है। जिसमे लोग स्नान ध्यान,पूजा पाठ करते है। 6 बजे से 9 बजे तक सुबह त्रेता युग,9 बजे से एक बजे तक दोपहर द्वापर,1 बजे दिन से तीन बजे भोर तक कलयुग बाबा का दौर चलता। जिसमे झूठ साच,अच्छा – बुरा,उल्टा पुल्टा कर्म लोग करते रहते है। जेडी सिंह

About jaizindaram