जौनपुर। नेवढिया विद्युत उपकेन्द्र के अधिकारी कर्मचारी के मिली भगत से विद्युत चोरी को बढ़ावा मिल रहा है। निष्पक्ष जांच हो तो यह बात स्पष्ट हो सकता है। बहुत से लोग कनेक्शन एक किलोवाट का लिए है और विद्युत उपयोग दो से तीन वाट कर रहे है। विभाग को बखूबी पता है। बिजली की चोरी वर्षो से हो रहा है। बाबजूद रोक पाने मे असफल है। कामर्शियल कनेक्शन कम है लेकिन बड़े बड़े कारोबार मे विद्युत का उपयोग हो रहा है। जिम्मेदार कौन है। ऐसे तमाम गांव और विद्युत उपभोक्ता मिल जायेगे जो घरेलू कनेक्शन लिए है उनके पास रसीद भी है। न तो आज तक बिल आया है न ही मीटर लगा है। जिस किसी का दस से पन्द्रह साल का बिल एक साथ आता है बिल देख लोगो के होश उड जाते है। विद्युत विभाग की कहानी सबको पता है। इनके उसूल और सिद्धांत पारदर्शी नही है। सरकार का कोई भी विभाग हो उससे जुड़े अधिकारी कर्मचारी को जातिवादी नही मानवतावादी होना चाहिए और सबके साथ न्याय करना चाहिए। विद्युत विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारी जातिवादी मानसिकता के तहत अपनी जाति के लोगो को संरक्षण दे रहे है। बिजली चोरी की खुली छूट दिये है। जबकि अन्य वर्ग के लोगो के यहा घर मे घुसकर वीडियो बना रहे है और लाखों का फाइन मार रहे है। विद्युत विभाग अपने अधिकार का प्रयोग करे। जिसमे नैतिकता होना चाहिए,पक्षपात नही। इस बात की लोग चर्चा कर रहे है,विभाग के लोग उसी पर जुर्माना ठोक रहे है जहा से दाल नही गल रहा। जबकि जहा सेटिंग हो जा रहा है,वहा सब ओके है,बिजली चोरी नही है। अगर किसी का एक किलोवाट का कनेक्शन है अगर वह दो से तीन किलोवाट बिजली उपयोग कर रहा है तो उसे विभाग द्वारा वाट बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए न की जुर्माना ठोकना चाहिए। अगर विद्युत विभाग जाच कर रहा है तो सबका करे तो ठीक है। अगर देखा जाय विद्युत के मामले मे उपभोक्ता और विभाग दोनो को समझदारी का परिचय देते हुए बेहतर विद्युत व्यवस्था का प्रबंधन करना होगा। ताकि दोनो का गरिमा बना रहे और सबके लिए सुगमता से उजाला बरकरार रहे। जेडी सिंह
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