जौनपुर। जिसके पास करेन्ट हो वह कभी भी किसी भी विद्युत उपभोक्ता को हैरान परेशान कर सकता है। विभागीय व्यवस्था मे व्यापक सुधार नितान्त जरुरी है। साथ ही उपभोक्ताओ को भी सही रास्ते पर आकर कनेक्शन के समय निर्धारित किलो वाट का उपयोग करना होगा। अगर ऐसा नही करते है अधिक वाट यूज कर रहे है तो बहुत बडी कार्यवाई हो सकती है। जिले से एक विद्युत दस्ता कभी भी आपके दरवाजे पहुंच सकता है कनेक्शनधारी है। बिल भर रहे है और मानक से अधिक किलोवाट बिजली उपयोग कर रहे है तो विभाग चोर की उपाधि से नवाज सकता है शायद और लाखों का बिल ठोक दिया जायेगा। फिर भरना मुश्किल होगा। दरअसल विद्युत विभाग को जात पात की राजनीति से बचना चाहिए। उसके लिए सभी उपभोक्ता एक समान है। लेकिन उत्तर प्रदेश मे जात पात की राजनीति सरकारी तन्त्र मे भी चरम पर है। दरअसल होता है क्या विभागीय अधिकारी जिस जात समुदाय का होगा वह अपने बिरादरी मे कम विद्युत जाच के लिए जाता है। जाता भी है तो कार्यवाही नही करता है। मानसिकता देखना है तो विद्युत विभाग के उपभोक्ताओ मे उन्ही पर ज्यादा मामला दर्ज है जो पक्के भाजपाई है। दर्ज रिपोर्ट के जाच से मानसिकता का पता लगाया जा सकता है। सताया भी उसे जा रहा है जो बसपाई है,अधिक बिजली बिल आना,कनेक्शन काटना,चालू करना यही क्रम चल रहा है। जिस जात के कुछ विद्युत विभाग के अधिकारी घरो मे घुसकर वीडियो बनाकर 3 से पाच लाख का जुर्माना मार रहे है। उन्हे अपनी जाति के लोगो का भी ध्यान देना होगा। विद्युत का उपयोग उनके घर भी हो रहा है। अवैध बिजली सबसे ज्यादे वही यूज कर रहे है। उत्तर प्रदेश की राजनीति मे भाजपा,सपा, बसपा, काग्रेस,अपना दल एस,सुभासपा,आम आदमी आदि पार्टी के विचारधारा के लोग रहते है और राजनीति करते है। सरकारी तंत्र मे भी विचार धारा का प्रवाह रहता है। बहुत से लोग मोदी और योगी के प्रबल सपोर्टर है तो कुछ लोग मायावती और अखिलेश यादव के है। दल की राजनीति अपनी जगह है। क्यो होय नृप हमय का हानि, विभाग के कुछ लोगो को दलीय सोच से हटकर विभाग के सोच के तहत काम करने की जरुरत है और बिना भेदभाव के विद्युत के उजाले के मिशन को आगे बढ़ाना है। जौनपुर का एक बिजली दस्ता खासे चर्चा मे है। मैनेज शब्द से जुड़ाव है तो बिजली चोर बनने से बच सकते है नही विभाग के कुछ लोग आप विद्युत उपभोक्ताओ को थिफ की उपाधि देने मे जरा भी देर नही करेगे। सावधान बिजली बिल का समय से भुगतान करे और बिजली चोरी से बचे। जेडी सिंह