जौनपुर। ग्राम सभाओ के विकास मे प्रधानो की भूमिका को नजर अंदाज नही किया जा सकता है। यह गरिमा का पद है। प्रधान को लेकर लोग तमाम बाते कहते है। खूब लूटत हयेन, लेकिन उनके एक पहलू की तो लोग चर्चा करते है। लेकिन दूसरा पहलू उनके जनसेवा का है जो लोग कम चर्चा करते है। अगर गांव मे कोई बीमार है या कोई किसी प्रकार के आपदा, विपदा से लोग परेशान है तो गांव का प्रधान हर संभव उसे कष्ट से उबारने की कोशिश करता है। मदद मे पीछे नही हटता। मरनी, करनी,शादी-ब्याह,होली, दीपावली मे गरीबो को आर्थिक सहायता देकर प्रधान उनकी मदद करता है।आज के समय मे विकास के नाम पर लूट मची है। ग्राम पंचायत के विकास की जो फाइल बनती है। ब्लाक के अधिकारी और कर्मचारी का कमीशन फिक्स है। जो सर्वविदित है। प्रधान पहले कमीशन देता है फिर फाइल स्वीकृत होता है। इसके बाद विकास का जब कार्य पूर्ण होता है तो डोगल लगवाने के लिए भी कमीशन लिया जाता है। प्रधान को भी बेइमानी करना सरकारी अमला ने ही सिखाया। प्रधान पद का गरिमा और सम्मान आज भी है। पहले के प्रधानी मे ईमानदारी की बात रही है। आज है उतना नही। जाच के नाम पर महज प्रधानो का शोषण होता है। जाच मे कुछ निकलकर आता नही। अगर खुलासा हो तो बात समझ मे आये। कुछ लोगो की मानसिकता बन गयी है धन कमाना है,सरकारी धन को सरकारी लोग बांटने का पैसा लेते है। जिसका सम्मानित नाम कमीशन है। सुविधा शुल्क है। जिसे लेने मे लोगो को कोई परहेज नही है। गांवो के विकास मे केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के साथ, साथ प्रधानो की भूमिका महत्वपूर्ण है। गांवो मे जनबुनियादी सुविधा बेहतर है। गांवो का विकास वही प्रधान कर पा रहा है जो संक्षम है। मनरेगा योजना गांव के विकास का धुरी बन गया है। कच्चा और पक्का काम मे धन की जरूरत तत्काल पड़ती है। मनरेगा मजदूर अगर काम कर रहा है तो उसे रोज का रोज पैसा चाहिए,प्रधान को देना पड़ता है। मजदूरी का पैसा मजदूर के खाते मे आता है। पक्का काम है तो मटेरियल का पैसा दुकानदार के खाते मे जाता है। क्रेडिट प्रधान का होता है। इसलिए जब सरकार का धन मिलने मे बिलंब होता है तो प्रधान को झेलना पड़ता है। मटेरियल वाले प्रधान को टोकते है। अभी हाल ही के दिनो मे मनरेगा के पक्का काम का धन सरकार ने आवंटित किया।सूत्रो की माने तो रामनगर विकास खण्ड के अधिकांश ग्राम सभाओ मे धन आवंटन के लिए डोगल लगा। 5 करोड 81 लाख का डोगल लगा। धन ग्राम सभाओ के खाते मे ट्रांसफर हो गया। सब खुश हो गये। 18-19 जुलाई को डोगंल लगा था। इस बीच खण्ड विकास अधिकारी शशिकेश सिंह का स्थानांतरण हो गया। 22 जुलाई को उनका डिजिटल सिग्नेचर हटाया गया। जो इसी तिथि तक मान्य था।बैक मे सिग्नेचर मैच न हुआ। अपटेड होते समय हट गया। जैसे ही प्रधानो को पता चला कि खाते मे आवंटित धन गायब हो गया तो उनके होश उड गये। छानबीन मे बात स्पष्ट हो गया। किन कारणो से खाते मे आया धन चला गया। जल्द ही सरकार ग्राम सभाओ के खाते मे सरकारी प्रक्रिया अनुसार धन भेज सकता है। ऐसी ग्राम प्रधानो मे चर्चा है। जेडी सिंह