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जौनपुर निष्पक्ष पत्रकार संघ: जोखिम भरे पत्रकारिता मे आज भी निष्पक्ष पत्रकारो का जनता के बीच है सम्मान, प्रतिभा प्रकृति प्रदत्त होता है जिसे दबाया नही जा सकता,कभी-कभी सत्ताबल, धनबल,बाहुबल के आगे पत्रकारिता को पड़ता है झुकना

जौनपुर। आज की पत्रकारिता पूरी तरह से जोखिम से भरा है। पत्रकारो को लेकर चर्चाओ का बाजार गर्म है। हालांकि आज भी बहुत अच्छे,अच्छे पत्रकार है,लेखनी मे दम है। प्रिन्ट मीडिया का बजूद और विश्ववसनीयता आज भी कायम है। टीवी पत्रकारिता काफी हद तक प्रभावित है। इन्टरनेट मीडिया का प्रभाव शक्तिशाली हुआ है। न्यूज पोर्टल,यूट्यूब चैनल का भरमार है। कुछ पत्रकार है जो सोशल मीडिया मे उनका क्रेज है। लेकिन पत्रकारिता की दशा और दिशा बहुत ही चिन्तनीय है। पत्रकारिता का जो ज्ञान है उसमे निपुणता बहुत कम ही पत्रकारो के पास है। पत्रकारिता सेवा है न कि व्यवसाय, दलाल और मैनेज शब्द ने पत्रकारिता को इस कदर बदनाम कर दिया है कि लोगो के मन मे पत्रकार के प्रति कुभाव पैदा हो गया है। पत्रकारिता का आज के परिवेश मे जमकर दुरुपयोग भी हो रहा है। भाटगिरि करके लोग खुद का स्तर तो गिरा ही रहे है साथ ही समाज मे पत्रकारिता के स्तर को भी गिरा रहे है। एक शब्द आता है मठाधीशी जिसका प्रभाव पत्रकारिता जगत पर है। मठाधीश जो होता है किसी न किसी दल से आन्तरिक जुड़ाव रखता है। उसकी विचारधारा पत्रकारिता वाली कम राजनीति वाली होती है। जिससे निष्पक्षता प्रभावित हो रहा है। छोटे मीडिया हाउस और बडे मीडिया हाउस के बीच मतभेद है। बडा पत्रकार और छोटा पत्रकार को लेकर बहस होता रहता है। रिस्क तो इतना बड़ा है कि खबर नही लिख सकते। भ्रष्टाचार पर खबर लिखिये। कोई भी सरकारी विभाग ऐसा नही है जहां मठाधीशो का प्रभाव न हो। कभी- कभी खबरो को रोकने का लालच दिया जाता है। दबाव बनाया जाता है। जो मैनेज हो गया तो ठीक है नही तो धनबल, सत्ताबल, बाहुबल के आगे पत्रकारिता को झुकना पड़ता है। आज पत्रकारिता करने वाले पत्रकार कम है पत्रकारिता का दुकान चलाने वाले ज्यादा है। जो अपना ही जय और विजय के साथ श्री चाहते है।भविष्‍य निकट पत्रकारिता क्षेत्र मे बदलाव होगा और भारत की मूल विधा के पत्रकारिता का दौर होगा। जिसमे पत्रकार पूरी तरह से शैक्षिक योग्यताओ के साथ निपुण होगा और युवा पीढ़ी के पत्रकारो की पत्रकारिता साकारात्मकता को बढ़ावा देगी। प्रतिभा चाहे जिस क्षेत्र की हो उसे दबाया नही जा सकता है। पत्रकारिता क्षेत्र के कुछ मठाधीश होते है जो अपना ही जय और विजय चाहते है। आज पत्रकारिता करने वाले कम लोग है। पत्रकारिता की दुकान चलाने वाले कुछ ज्यादे हो गये है। बस श्री उनका बना रहे और जलवा कायम हो यशगान हो और तमाम लाभ से लाभान्वित होते रहे।कुछ तो इस तरह की पत्रकारिता है और कुछ निष्पक्ष पत्रकार है जो जोखिम उठाकर पत्रकारिता के पवित्र मिशन को आगे बढ़ा रहे है। जो उपेक्षित है,शोषित है। लेकिन एक दिन स्वीकार्य हो जायेगे। ऐसी उम्मीद है। जगदीश सिंह संपादक

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