स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का दर्शन करने उमड़ा लाखों जनसैलाब
मिर्जापुर। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की अंचल में बसा श्री परमहंस आश्रम विजयपुर में आज विश्व गुरु विश्व गौरव से सम्मानित यथार्थ गीता के प्रणेता तत्व द्रष्टा महापुरुष परमहंस स्वामी श्री अड़गड़ानंद जी महाराज का पदार्पण हुआ। पूज्य श्री तानसेन महाराज रामरक्षानंद जी महाराज, श्री लाले महाराज, श्री रामजी महाराज, श्री गुलाब महाराज, श्री चिंतनमयानंद जी महाराज, दीपक महाराज, आशीश महाराज, मनीष महराज, आदि शिष्यों के साथ जब श्री स्वामी जी श्री परमहंस आश्रम विजयपुर में पहुंचे तो उनके पावन कमलवत चरणों की रज की खुशबू को पाने के लिए श्री परमहंस आश्रम विजयपुर के प्रभारी महात्मा श्री नर्मदा जी महाराज की अगुवाई में लाखों की संख्या में भक्तों ने पूज्य श्री स्वामी जी का दर्शन पर्श़न कर कृतार्थ हो गये। पूज्य श्री स्वामी जी के आरती वंदन अभिनंदन के बाद पूज्य श्री स्वामी जी ने लाखों भक्तों पर कृपा करते हुए दर्शन के साथ, साथ सत्संग के माध्यम से भी आशीर्वचन प्रदान किया। वैसे तो सद्गुरु की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बरसती रहती है । जैसे माता शबरी पर सद्गुरु मातंग ऋषि की कृपा कबीर पर सद्गुरु रामानंद की कृपा अर्जुन पर सद्गुरु श्री कृष्ण की कृपा ऐसे अगणित उदाहरण दीनों के पड़े हैं कि जिन्होंने सद्गुरु की कृपा से अपने लौकिक और पारलौकिक जीवन को सफल बनाया है। ठीक इसी प्रकार आज विश्व पूज्य श्री स्वामी जी के त्याग और तपस्या का फसल उनके पवित्र ईश्वरीय संदेश उनकी पवित्र वाणी व मानव का धर्म शास्त्र यथार्थ गीता के रूप में काट रहा है। जैसा कि महापुरुष अंतर्यामी होते हैं आज पूज्य श्री स्वामी जी ने भक्तों की आंतरिक इच्छा को पकड़ कर कबीर के सद्गुरु ज्ञान बदरिया बरसे के माध्यम से लाखों भक्तगणों पर कृपा बरसाये । पूज्य श्री स्वामी जी ने अपने उद्बोधन में भक्तों को बताया कि सद्गुरु खेवनहार है बिना उनके कोई भवसागर पार नहीं हो सकता
पूरा सद्गुरु न मिला मिली न सांची सीख।
भेष यती का बनाय के घर घर मांगे भीख।।
अब प्रश्न उठता है कि सद्गुरु का ज्ञान कहां कहां बरसता है ?
गंगा में बरसे यमुना में बरसे।ताल तलैया तरसे।। पूज्य श्री स्वामी जी ने कहा कि अध्यात्मिक प्रतीकों में ज्ञान ही गंगा है और योग ही यमुना है
गंगा जमुना खूब नहाये । गया न मन का मैल ।
आठ पहर जूझत ही बीता जस कोल्हू का बैल।।
ज्ञान रुपी गंगा और योग रुपी यमुना में अवगाहन करने से पाप सदा के लिए समाप्त हो जाता है।
“”“”
पांच सखी मिलि तपै रसोई।
सुरत सुहागिन परसे।।
पांच सखी अर्थात पांच ज्ञानेंद्रियां जब संयत हो जाती हैं तो सखी हैं तपै रसोई अर्थात भजन ही भोजन है जो इस आत्मा को तृप्त करता है, आत्मा को परिपूर्ण और द्रष्टा को स्वरुप में स्थिति दिलाता है
“***”””””
सुरत सुहागिन परसे।
साधु संत जन निशि दिन भीजै।। निगुरा बूंद भर तरसे।।
*““””
बिरले शब्द को परखे।।
संतों के लिए सद्गुरु का बादल अनवरत अविरल बरसता रहता है। उठते बैठते सोते जागते हमेशा सद्गुरु की कृपा व वरदहस्त परमात्म पथिक पर बरसती रहती है। महात्मा कबीर कहते हैं कि मैं जो ज्ञान प्रस्तुत कर रहा हूं उसको कोई विरला ही समझेगा और कोई विरला ही उस पर चलेगा।
पूज्य श्री स्वामी जी ने भक्तों को को बताया कि यथार्थ गीता को पढ़ें और ओम् का जप करें जिससे लौकिक और पारलौकिक जीवन सफल बन सके। जहां एक तरफ पूज्य श्री स्वामी जी आज ईश्वरीय ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए तीन दिवसीय धार्मिक यात्रा पर हैं वहीं उनके एक लाख यथार्थ गीता का मुफ्त वितरण अयोध्या में प्रारंभ हो गया है जो २२ जनवरी राम लला मंदिर उद्घाटन समारोह तक चलेगा। इस अवसर पर श्री तानसेन महाराज श्री रामरक्षानंद श्री चिंतनमयानंद जी महाराज श्री लाले जी महाराज श्री रामजी महाराज श्री गुलाब महाराज आदि संतों का भी सत्संग प्रवचन हुआ। लाखों की संख्या में भक्तों को प्रसाद वितरण भी कराया गया और उन्हें मुफ्त में यथार्थ गीता भी बांटा गया। जेडी सिंह/ यथार्थ पाण्डेय