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भारत का जुगाड रखता है खास महत्व,जिसके पास इसकी थाती,उसको बनास डेयरी अमूल प्लांट मे कंपनी की तरफ से नौकरी,बाकी गरीबो,असहायो,लाचारो के लिए आउट सोर्सिंग का रास्ता खुल गया है,जो एक प्रकार से शोषण का माध्यम है, जय श्रीराम

जौनपुर। भारत का जुगाड पूरी दुनिया मे खास महत्व रखता है। हर व्यक्ति जुगाड के जरिये ही सब कुछ पाना चाहता है। वाराणसी के करखियाव मे बनास डेयरी अमूल प्लांट दूध की बहुत बड़ी कम्पनी का उदघाटन 23 फरवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेगे। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और तमाम भाजपा की जानी मानी हस्ती के साथ दूध कंपनी के आला मालिक शिरकत करेगे। कंपनी का लक्ष्य है ज्यादे से ज्यादे पशुपालको को साथ जोड़ना और दूध कलेक्ट करके दूध का उत्पाद बनाकर बाजार मे बेचना और मुनाफा कमाना। जबसे मोदी जी ने इस दूध कम्पनी का आधार शिला रंखा है। तबसे जुगाड बाज अब तक अपने जुगाड मे लगे है। जुगाडी अपने मिशन मे सफल है। ऐसी जनमानस मे चर्चा है। कंपनी की तरफ से अधिकांश नियुक्ति जुगाड से हो गया है। जानकार बता रहे है। जिसके पास मजबूत थाती है। उसी का जुगाड भी फिट बैठ रहा है। जो गरीब है असहाय है लाचार है और पात्र है उसके पास न तो जुगाड है न मजबूत थाती है। ऐसे मे उसके लिए दूध का कैरेट ढोने और झाडू लगाने और मेहनत का काम करने के लिए आउट सोर्सिंग कंपनीओ के ठेकेदार 12 घटे का 12 हजार रुपये देने का मोलभाव कर रहे है। कुछ गरीब मजदूर काम पर तो लग रहे है। मेहनत ज्यादा पड़ने से छोड़कर भाग जा रहे है। कुछ मेहनतकश मोर्चा संभाले है। चिलिंग प्लांट जिसका जुगाड है,उसका ही होना है। फायदा जहां है वहा जुगाड वाले हाबी है। मेहनत के लिए तो गरीब बेचारे है। ठेकेदारी प्रथा गुजरात से आयी है जो गरीब मजदूरो के लिए पीड़ा दायक है। हालांकि बनास डेयरी अमूल दूध फैक्टरी मे आधुनिकता का चरम हो सकता है। दरअसल जौनपुर और वाराणसी के आस, पास गांव के लोगो मे इस बात की पीड़ा है। लोग आपस मे चर्चा कर रहे है। कंपनी की तरफ से जिसका जुगाड था उसका हो गया। ऐसी चर्चा है। लोग यह भी कह रहे है जिसके पास थाती है। उसके लिए नौकरी पाना आसान है। लोग यह भी कह रहे है। गरीब असहाय मजलूम जो नौकरी पाने के पात्र है। उनके लिए आउट सोर्सिंग का दरवाजा खुल गया है। 12 घण्टे उनसे काम लिया जायेगा। ऐसी संभावना है। जेडी सिंह संपादक

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