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मछलीशहर लोकसभा सीट पर भाजपा बटी दो खेमे मे,एक भोलानाथ सरोज को सांसद बनाना चाह रही,दूसरा हराने के लिए बुन रही ताना बाना,आगे क्या होगा राम जाने, विधायक बनने का भी दाव अभी से शुरु

जौनपुर। मछलीशहर लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार भोलानाथ सरोज को लेकर चर्चाओ का बाजार गर्म है। भाजपा नेता व कार्यकर्ता दो खेमे मे बट गये है। एक खेमा बीपी सरोज को सांसद बनाने का पक्षधर है तो दूसरा खेमा हराने मे पूरी ताकत से जुटा है। अन्दर, अन्दर मे बगावत के सुर तेज है। पर्दे के सामने खुलकर विरोध करने वाले लोग सोशल मीडिया मे अपना दर्द बया करने मे पीछे नही है। जबकि पर्दे के पीछे से चुनाव हराने वाले लोग भाजपा के कुछ दिग्गज नेता जुटे है। ठाकुर और ब्राह्मण भाजपा का परंपरागत वोट है। जब इनके पास कोई नही था तब भाजपा को आक्सीजन देकर ये दो जाति के लोगो ने पार्टी को आगे बढ़ाने का काम किया। कही न कही से कुछ गंभीर बात है तभी तो बीपी सरोज का विरोध हो रहा है। खास बात है कि बीपी सरोज के पास कुछ गिने चुने ठाकुर और ब्राह्मण बहुत खास है। जो पिछले चुनाव से साथ मे है। इस बार भी चुनाव मे पूरी ताकत से रात दिन मेहनत करके कमल को दोबारा खिलाने के लिए प्रयासरत है। जाहिर सी बात है जो चुनाव के समय मेहनत कर रहा है तो चुनाव जीतने पर सांसद के बाद उसका रुतबा तो रहेगा। यह भी बात कुछ लोगो को नागवार लगती है। पाच साल का कार्यकाल लोगो ने देख लिया। जिसमे नैतिकता कम अनैतिकता की बात कुछ ज्यादा लोगो को समझ मे आ रहा है। सांसद से जुड़े खास लोग यह नही चाहते की अपना कोई स्वजातीय बन्धु सांसद से जुड़े और खास बने। ऐसा लगता यही लोगो की वजह से सांसद का जुड़ाव लोगो से कम हो पा रहा है। सूत्रो के हवाले से खबर है भाजपा उम्मीदवार को भाजपा के ही कुछ नेता हर बूथ पर हराने का ताना बाना बुन चुके है। कुछ लोग विधायक बनने का दाव अभी से बिठा रहे है। वह तो भाजपा उम्मीदवार को जीताने के लिए पूरी ताकत से जुटे है। जनसंपर्क कर रहे है। भाजपा के लिए वोट मांग रहे है। जबकि कुछ लोग विधान सभा चुनाव हार गये है। जिसमे उन सभी को यकीन है चुनाव हराने मे कही न कही से बीपी सरोज की भूमिका है। लोकसभा चुनाव है। बीपी उम्मीदवार है। ऐसे मे अगर चुनाव हार जायेगे तो इनकी मन की मुराद पूरी हो जायेगी। दरअसल सांसद की कार्यप्रणाली को लेकर जो असंतोष है लोगो मे गलत नही है। कार्यकाल मे दुश्वारिया ही दुश्वारिया है। जबकि सांसद व उनके लोग जान भी रहे है। बाबजूद अपनी गलती को स्वीकार नही रहे है।शायद अगर अपनी गलती को स्वीकार कर ले तो परिवार के लोग नाराज है। फिर जुड़ सकते है। भाजपा सबको परिवार मानती है। नाराज लोग भी भाजपा परिवार के ही लोग है। उनको मनाया जा सकता है। दरअसल कुछ लोग ऐसे है जो माननीय को बखूबी समझा दिये है। दो लाख वोट से चुनाव जीत रहे है। ऐसे मे अति आत्म विश्वास मे लोग सोच रहे है कुछ लोग वोट नही देगे तो भी भाजपा चुनाव जीत रही है। जेडी सिंह संपादक

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