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छोटे अखबारो की क्रान्ति से वीरता जागी,अंग्रेज से मुक्त हुआ भारत,अच्छी खबरो के लिए पत्रकारो को प्रोत्साहित करे सरकार,मानवता के लिए सकारात्मकता का संदेश देना ही है सच्ची पत्रकारिता

सतगुरु धाम। जौनपुर। 30 मई का दिन पत्रकारिता दिवस के रुप मे मनाया जाता है।अखबार की कहानी इसी दिन से शुरु होती है। अंग्रेजी हुकुमत को धाराशाही करने और क्रान्तिकारियो को सूचना प्रदान करने मे अखबार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रिन्ट मीडिया का उदभव संसाधनो के अभाव मे भी कारगर रहा। एक तरफ क्रान्तिकारी वीर अंग्रेजो से लड़ रहे थे तो तब के मझोले अखबार जन,जन मे आजादी का चेतना फैला रहे थे। देश आजाद हुआ,अखबार और पत्रकारिता से भारत देश की दशा और दिशा पर चिन्तन शुरु हुआ। सरकारी काम काज का दौर शुरु हुआ। राजनीति से देश चलने लगा। भारत सरकार और राज्य सरकारो ने भारत देश के नागरिको के सुख सुविधा का ख्याल करके संसाधन बनाने मे जुट गये। देश विकास की ओर बढ़ने लगा। शिक्षा,चिकित्सा,को बढ़ावा मिला।सड़को का जाल बिछने लगा। आजादी के आभास के साथ जीवन की गाडी पटरी पर आने लगी। अखबार का जमाना था, अब नही है। उद्योगपतिओ के अखबारो की अपनी,अपनी पालिसी है। पत्रकारो का शोषण करना आम बात है। विज्ञापन की प्राथमिकता से पत्रकारिता पूरी तरह से पथ से भटक चुकी है। खबर की एक हनक होती थी। जिसका असर होता था। शासन, प्रशासन के लोग गंभीरता से खबर का संज्ञान लेते थे। आज भी चीजे है महज औपचारिकता है। पत्रकारिता जन सेवा है। जो न्याय सहायक के रुप मे कार्य कर रही है। अखबार और पत्रकार को जनता की आवाज बनना चाहिए और सरकार की कमियो पर नजर रखनी चाहिए और समय,समय पर उचित मार्गदर्शन करते रहना चाहिए,अक्सर यह आमतौर पर कहा जाने लगा है पत्रकार नही चाटुकार है,दलाल है,इन शब्दो का उपयोग पहले कम होता था। प्रिन्ट से जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जमाना आया तो इन दो प्यारे शब्दो का प्रचलन बढ़ा,अब जब यूट्यूब खबरिया चैनल और न्यूज पोर्टल का जमाना आया तो पत्रकारिता की व्यापकता बढ़ी और चाटुकार और दलाल शब्द पत्रकार के लिए आमतौर पर बोला जाने लगा है। आज सूचना के आदान-प्रदान की गति तेज है,जो घातक और विस्फोट है। वायरल शब्द के मायनो मे बहुत अच्छाई के साथ बुराई का चरम है। कब क्या खेला हो जाय,बहुत सतर्क है तो तभी बच पायेगे नही तो तबाही होने मे देर नही लगेगी। छोटे अखबारो को सरकार को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। पत्रकारिता को जिन्दा रखने और सत्य का अलख लगाने मे मझोले अखबार की भूमिका महत्वपूर्ण है। संगीत मे तरह, तरह के राग है। जो समय के अनुसार समय पर गाये जाते है। पत्रकार और पत्रकारिता मे सूझबूझ के चिन्तन के साथ पवित्र विचारो को विशेष स्थान देना चाहिए, नकारात्मकता के प्रभाव को खत्म करके सकारात्मकता का संदेश देना, मानव हित को बढ़ावा देना ही सच्ची पत्रकारिता है। पत्रकारिता करना बहुत ही रिस्की है। बाबजूद बहुतो जाबांज पत्रकार मिशन का अलख लगाने मे पीछे नही है। चाहे जिसकी सरकार हो अखबार और पत्रकारिता को मिटाने की चेष्टा नही करनी चाहिए,न ही किसी प्रकार का दबाव बनाना चाहिए, अच्छी खबर लिखने वालो पत्रकारो को सरकार को सम्मानित करना चाहिए,ऐसे मे खबर लिखने की अवधारणा लोगो मे बढ़ेगी और भारतीय संस्कृति की सत्य अवधारणा से लोग आसानी से परिचित होने लगेगे। जगदीश सिंह संपादक

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