राम मंदिर का पुनर्निर्माण और धरोहरों का सम्मान भी डॉ. मुखर्जी के विचारों की जीत है: श्रीकृष्ण बिहारी राय
मोदी सरकार ने धारा 370 को हटाकर उनके बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी: श्रीकृष्ण बिहारी राय
डॉ. मुखर्जी भारतीय विचारधारा के ध्वजवाहक थे आज कश्मीर प्रगति के पथ पर अग्रसर है तो यह डॉ. मुखर्जी के बलिदान का परिणाम है: पुष्पराज सिंह
जौनपुर: भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर सीहीपुर स्थित भाजपा कार्यालय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने की और मुख्य अतिथि मे रूप मे श्रीकृष्ण बिहारी राय उपस्थित रहे। सर्वप्रथम पार्टी के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं0 दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा श्रद्धासुमन अर्पित कर व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रवादी विचारों, जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण के लिए उनके बलिदान और भाजपा की वैचारिक नींव को मजबूत करने में उनके योगदान को याद किया।
मुख्य अतिथि श्री कृष्ण बिहारी राय ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उन्होंने उस समय की कांग्रेस सरकार और तत्कालीन नेतृत्व विशेषकर जवाहरलाल नेहरू के कई नीतियों से असहमति जताई थी। फिर भी, गांधी जी के आह्वान पर उन्होंने स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में हिस्सा लिया जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे महानुभाव भी शामिल थे लेकिन समय के साथ नेहरू जी ने उन्हें और डॉ. बी.आर. अंबेडकर जैसे नेताओं को उचित भूमिका नहीं दी, जिसके कारण वे सरकार से बाहर हो गए। उन्होंने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति ने संभव बनाया। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद और उग्रवाद को लगभग समाप्त कर दिया गया है। राम मंदिर का पुनर्निर्माण और धरोहरों का सम्मान भी डॉ. मुखर्जी के विचारों की जीत है। मोदी सरकार ने धारा 370 को हटाकर उनके बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी। उनके नारे एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे। इसको साकार करने में मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका ऐतिहासिक रही।
एम एल सी बृजेश सिंह प्रिंसू ने कहा कि 1950 के दशक में जब कांग्रेस का आजादी की लड़ाई में एकछत्र प्रभुत्व था, तब डॉ. मुखर्जी ने वैकल्पिक राजनीतिक विचारधारा प्रस्तुत की भारतीय जनसंघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक विचार था। जिसका प्रभाव आज सात दशकों बाद भी देश और राज्यों में देखा जा सकता है। डॉ. मुखर्जी ने निडर होकर नेहरू की नीतियों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मैं आपकी कुचलने वाली मानसिकता को ही कुचल दूंगा उनके इस साहस ने उन्हें युगपुरुष बनाया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आज भी भाजपा की शासन व्यवस्था का आधार है, जहां गरीब और सामान्य व्यक्ति केंद्र में है पिछले 17 वर्षों में एनडीए और भाजपा ने केंद्र और राज्यों में सुशासन और विकास के लिए काम किया है। धारा 370 के निरस्त होने और श्री राम मंदिर के पुनर्निर्माण जैसे कदमों ने डॉ. मुखर्जी के सपनों को साकार किया है।
जिला अध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने डॉ. मुखर्जी के अखंड भारत के सपने और राष्ट्रवादी विचारधारा को याद किया और अपने संबोधन में कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय विचारधारा के ध्वजवाहक थे आज कश्मीर प्रगति के पथ पर अग्रसर है यह डॉ. मुखर्जी के बलिदान का परिणाम है उनकी पुण्यतिथि पर मैं उनके चरणों में कोटि-कोटि वंदन करती हूं। आज ही के दिन 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अखण्ड भारत के लिए बलिदान दिया था।स्वतंत्र भारत में कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने देश को अपने विजनरी नेतृत्व में लाभान्वित करके देश की औद्योगिक नीति तय करने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने आजादी के तत्काल बाद राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को देखते हुए इस्तीफा दिया और भारतीय जन संघ के पहले अध्यक्ष के रूप में देश में एक नई राजनीतिक शुरुआत को आगे बढ़ाया था। डॉ. मुखर्जी का विचार केवल जम्मू-कश्मीर तक सीमित नहीं था, बल्कि शिक्षा, भाषा, लघु उद्योग, और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में उनका चिंतन मौलिक था।
कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री सुशील मिश्र ने किया। उक्त अवसर समस्त जिला पदाधिकारी एव समस्त मंडल अध्यक्ष समेत भाजपा के कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे।