जौनपुर। गुरु को धोखा देने वालों का कभी उद्धार नहीं होता। आजकल के कुछ शिष्य ऐसे होते है। जिनका मकसद होता है सिर्फ अपना फायदा। जो गुरु शिष्य को संवारा। आदर्श मार्ग दिया। ऐसे गुरु के लिए मन में पाप नहीं रखना चाहिए। आजकल के कुछ शिष्य गुरु के लिए समाज में खूब प्रचारित करते हैं। हमारे गुरु है। इतना कहकर गुरु के यश कीर्ति त्याग तपस्या का फायदा लेते हैं और तो और अपने को स्थापित करने के लिए गुरु को दीन हीन गया गुजरा भी साबित करते हैं। इसके पीछे उनका मकसद होता है। अपना वर्चस्व बनाना और फायदा लेना। दरअसल गुरु, गुरु होता है। जो अखण्ड ज्योति है। जो कभी बूझता नहीं। गुरु और चेलों के अनेकों प्रकार हैं। गुरु शिष्य परंपरा पावन है। कभी,कभी ऐसा भी होता है गुरु का थोड़ा ओज पाकर शिष्य खुद को गौरवान्वित महसूस करने लगता है और सदमार्ग से भटककर कुमार्गी बन जाता है। बहेल्ला बन जाता है और अपनी एक अलग पहचान बनाने में राम रस से विमुख होकर सोमरस में लवलीन होकर गलत आचरण और व्यवहार करने लगता है। हालांकि बनना तो बहुत कुछ चाहता है। लेकिन बन नहीं पाता है। जब नियत साफ होती है,तभी ईश्वर की कृपा मिलती है। दास जगदीश सतगुरु धाम बर्राह
Home / सुर्खियां / गुरु को धोखा देने वालों का कभी नहीं होता उद्धार,नियत साफ होंने पर मिलती है ईश्वर कृपा ,दास जगदीश का सतगुरु धाम बर्राह से अध्यात्मिक विचार