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जौनपुर के लोगों को शाकाहारी बनने,भगवान का आकाशवाणी सुनने,शराब जैसा नशा छोड़ने,भजन करने का आध्यात्मिक संदेश जयगुरुदेव के शिष्य पंकज महाराज ने नेवढ़िया से सतसंग के दौरान दिया,स्वागत मे फूलों की वर्षा

नेवढ़िया (जौनपुर) 29 सित.। एक सौ बाइस दिवसीय शाकाहार सदाचार मद्यनिशेध आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा जिला-जौनपुर अन्तर्गत गतिमान है। इसी क्रम में संस्थाध्यक्ष संत पंकज जी महाराज नेवढ़िया के मां शीतला मन्दिर के बगल मैदान में यात्रा का सरसठवां पड़ाव डाला। जहां आयोजित सत्संग सभा में महाराज ने रामचरित मानस की चौपाई ‘‘संत महीं विचरत केहि हेतू। जड़ जीवन कह करत सचेतू।’’ को उद्धृत करते हुये कहा सन्त महात्मा बहुत दयालु होते हैं। जिस प्रकार विद्यार्थी विद्याध्यन के लिये विद्यालय जाते हैं। उसी प्रकार सन्तों महात्माओं का सत्संग आध्यात्मिक पाठशाला है। वह समझाते हैं कि गृहस्थ आश्रम में रहकर अपना काम मेहनत ईमानदारी से करें, परिवार का पालन-पोषण करें तथा थोड़ा सा समय निकाल कर भगवान का भजन भी करें। गाना-बजाना,ढोल, मंजीरा यह भजन नहीं है यह तो भजन की नकल है। भजन तो प्रभु के देश से आ रही आकाषवाणी,अनहदवाणी को आत्मा के तीसरे कान से सुनने को कहते हैं। इसी को सन्त कबीर साहब ने कहा ‘‘हम तो बचि गये साहब दया से, शब्द डोरि गहि उतरे पार।’’ इस कलियुग में जीवात्माओं को भव से पार लगाने के लिये दयालु प्रभु ने संतों को भेजा, उन्होंने यहां प्रभु प्राप्ति की सरल साधना सुरत-शब्द योग (नाम योग) जारी किया।
संस्थाध्यक्ष ने कहा मांसाहार से पशु-पक्षियों के बैक्टीरिया मानव शरीर में प्रवेश करके तरह-तरह की बीमारियां कर देते हैं और कर देंगे। फिर ने पशुओं की दवा, न मनुष्यों की दवा काम में आयेगी। अभी पिछले वर्षों में कोरोना जैसी भीषण बीमारी का प्रकोप आपने देखा, सारा विश्व तबाह हो गया। इसकी चेतावनी परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने राजस्थान प्रान्त के जोधपुर नगर के रामलीला मैदान में मई 1973 के सत्संग में दिया था। वर्तमान में शाकाहारी बनने और शराब जैसे घातक नशा का त्याग करना समय की मांग है। हमारी संस्था बाबा जी के लोक-परलोक हितकारी संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने में लगी हुई है। जब लोग शाकाहार अपनाकर और नशे को त्यागकर भगवान का भजन करने लगेंगे तो प्रकृति अनुकूल हो जायेगी तो समय से जाड़ा, समय से गर्मी और समय से बरसात होने लगेगी।
आप सभी मानव धर्म व मानव कर्म को अपनायें। एक-दूसरे की निःस्वार्थ भाव से सेवा करें। सत्य, दया, अहिंसा, दया, करुणा आदि गुणों को अपनाकर मानव जीवन सफल बनायें। महाराज जी ने सत्संग में पधारने वाले लोगों के सुखद भविष्य की मंगलकामना करते हुये सबका आभार व्यक्त किया। शांति व्यवस्था में पुलिस प्रशासन ने सहयोग किया।
इस अवसर पर ऋषि देव श्रीवास्तव,बालेन्द्र मिश्र, बबलू सेठ, संतोष जायसवाल, सहयोगी संगत गोरखपुर के जयराम मास्टर, प्रहलाद, राम कृपाल आदि मौजूद रहे।

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