जौनपुर। वर्तमान समय मे बहुतों इन्सान झूठ की खेती कर रहे हैं। इन्सानो को भरमा रहे हैं,भटका रहे है। बरगला रहे हैं। एक प्रकार से कह लीजिए धोखा दे रहे है। हर इंसान को सत्य बोलना चाहिए, झूठ बोलने से बचना चाहिए, जबकि झूठ बोलना सबसे बड़ा पाप है। शायद कुछ इन्सान झूठ इसलिए बोलते है क्योंकि कभी‑कभी वो खुद को बचाना चाहते है,या किसी को ठेस पहुँचाने से बचना चाहते है। कभी डर, कभी अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए या फिर अपनी चाहतों को छुपाने के लिए।
कुछ लोग सच को छुपा कर दूसरों को फँसाने की कोशिश करते हैं,क्योंकि उन्हें लगता है शक्ति या बचाव का रास्ता यही है। ऐसे लोगों से मुलाक़ात अक्सर दिल को ठेस पहुँचाती है।
जो झूठ का सहारा लेता है, वो अक्सर चालबाजी में माहिर होता है।
ऐसे लोग सच में दिल को ठेस पहुँचा देते हैं—भरोसा दिलाते हैं और फिर पीछे हट जाते हैं। ऐसे अनुभवों से मन में निराशा और सावधानी दोनों ही बढ़ जाती है।
जब हर कदम पर ईश्वर का सहारा महसूस होता है, तो हर बात में उसकी मौजूदगी जाहिर‑सी लगती है।
झूठ का अभिप्राय अक्सर डर, बचाव या अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए एक सुरक्षा कोट जैसा होता है।
झूठ तो बस एक भ्रम ही है, जो असच्चाई की परछाई बनकर आती है।
जब झूठ का परदा छा जाता है तो सच का अकाल ही महसूस होता है।
झूठ की व्यापकता, सच में हर दिशा में फैली लगती है।
जब सच की रोशनी हर कोने में फैल जाएगी तो झूठ की ताक़त धुंध में पिघल जाएगी
सत्य बोलने की आदत ही मन की शुद्धि का मूल है। सच का दृष्टिकोण होना बहुत ज़रूरी है।—वो हमें सही रास्ता दिखाता है
संसार की झूठी परतों के पीछे, आत्मा और परमात्मा की शुद्धता ही असली सत्य है। दास जगदीश सतगुरु धाम बर्राह रामनगर जौनपुर
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