जौनपुर। मनुष्य है तो सत्य बोलिये। खुद मे सत्य बोलने की आदत विकसित करिये। झूठ पर खड़ा बुनियाद कभी भी तहस,नहस हो सकता है। देख सकते है,कभी किसी का चला नही है। दशा दस साल,चाल चालीस साल, न जाने कितने आये और चले गये। लेकिन सच जिन्दा है। जिसका इतिहास है।
सत्य बोलने की आदत विकसित करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
नियमित अभ्यास से रोजमर्रा की जिंदगी में सच बोलने का प्रयास करें, चाहे वह छोटी बातें ही क्यों न हों।
अपने विचारों और कार्यों का विश्लेषण करें और देखें कि कब आप झूठ का सहारा लेते हैं। अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट और ईमानदारी से व्यक्त करें। झूठ बोलने के पीछे के डर को समझें और उस पर काबू पाने का प्रयास करें।
सत्य के महत्व और इसके लाभों को समझने से आपको सच बोलने की प्रेरणा मिलेगी। सत्यवादी लोगों से प्रेरणा लें और उनके गुणों को अपनाने का प्रयास करें।
सत्य बोलने की आदत विकसित करने में समय लगता है, इसलिए धैर्य रखें और स्थिर रहें।
इन बातों का पालन करके, आप धीरे-धीरे सत्य बोलने की आदत विकसित कर सकते हैं।
सत्य बोलने के लिए प्रेरणा लेने के कई तरीके हो सकते हैं।
सत्य बोलने से आत्म-संतुष्टि मिलती है, जो एक बड़ी प्रेरणा हो सकती है।
सत्यवादिता को एक नैतिक मूल्य मानना और इसे अपने जीवन में अपनाना।
सत्य बोलने से दूसरों का विश्वास बढ़ता है, जो रिश्तों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
सत्य बोलने से आत्मविश्वास बढ़ता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में मददगार होता है।
कई धर्मों और आध्यात्मिक परंपराओं में सत्यवादिता को एक महत्वपूर्ण गुण माना जाता है, जो आत्म-विकास में मदद करता है।
इन प्रेरणाओं को ध्यान में रखकर, आप अपने जीवन में सत्य बोलने की आदत डाल सकते हैं। दास जगदीश सतगुरु धाम बर्राह रामनगर जौनपुर
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