जौनपुर। संसार में अमीरीयत,गरीबीयत,फकीरीयत जैसे उपयोगी मनुष्य रहते है। अमीर कोई व्यक्ति बनता है वह उसके कर्म,मेहनत का फल होता है,गरीब व्यक्ति के जीवन की परीक्षा की घड़ी गरीबी होती है झेलते, झेलते,मान,सम्मान, अपमान, उपेक्षा, शोषण के बाद ईश्वर भी उसके जीवन में उल्लास देता है धन सम्पदा से परिपूर्ण करता है। फकीरीयत बादशाहियत है ये खाली होते है लेकिन भरे होते है इनको समझ पाना सबके बस की बात नहीं है। अमीरों में रईस अमीर होते है जो युगों, युगों से दाता होते है। गरीबों के जनसेवा में सबकुछ न्यौछावर करते है लेकिन चर्चा कहीं किसी से नहीं करते क्योंकि वह मानते है कर्ता तो ईश्वर है जो किया सो हरि ने किया भये कबीर, कबीर। दूसरे जो अमीर होते कठिन मेहनत, तपस्या से धन की कमाई करते है और शोहरत को प्राप्त करते है लेकिन वह किसी असहाय, लाचार, बेसहारा,मजबूर की मदद करते है तो उसको जन,जन में विदित करते है। समय, समय की बात है अमीरों को गरीब बनते और गरीबों को अमीर बनते देखा जा रहा है। किसी को ईश्वर महान बनाने के उपक्रम की रचना करता है तो वह सबसे पहले अपने गरीब, असहाय, लाचार, मजबूर भक्त को भेजता है वह निरीह भक्त मदद माँगता है और भगवान भाव देखता है। मजबूर भगवान का सबसे प्रिय भक्त होता है ईश्वर उसके स्वाभिमान को कभी झुकने नहीं देते है। हर हर महादेव, दास जगदीश सतगुरु धाम बर्राह मडियाहू, जौनपुर। उत्तर प्रदेश भारत