जौनपुर। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। समाजवादी पार्टी के सहयोगी दल अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिये बेताब है।जबकि भाजपा छोड़ सपा का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा को नेस्तनाबूद और परखच्चे उड़ाने की की बात कर रहे हैं। सुहेलदेव समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर भी पूरे तेवर में है और भगवा लहर को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में पूरी शिद्दत से लगें है।सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की दहाड़ है भाजपा पर वार है। सपा और उसके सहयोगी दल योगी आदित्य नाथ को दोबारा मुख्यमंत्री के रुप में नहीं देखना चाहते हैं और न ही सरकार बनने देना चाहते हैं। उनकी मन्शा है अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। समझना होगा जनता,जनार्दन का मूड़ क्या हैं। यूपी के चुनाव को अगडा बनाम पिछड़ा का रुप दिया जा रहा है। यह राजनीति उत्तर प्रदेश में बहुत पहले से चली आ रही है। सपा, बसपा की राजनीति की चमक तब फीकी पड़ी जब लोग दोनों दलों के सत्ता से वाकिफ हुए और नीति और नीयत को जाना, समझा। 2017 की राजनीति को जिस फार्मूले से भाजपा ने धार दिया और सत्ता हासिल की अब उसी फार्मूले से अखिलेश भाजपा को सत्ता से बेदखल करके खुद सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। ऐसा लगता हैं भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव में विजय के लिये कोई न कोई नया फार्मूला तैयार कर लिया है।जिसका उपयोग होने ही वाला हैं ऐसी संभावना है। उत्तर प्रदेश की राजनैतिक जमीन में भाजपा ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास रुपी बीज जो बोया है वह अंकुरित हो चुका है।भाजपा संगठन इतना मजबूत है कि जिसका जोड़ किसी दल के पास नहीं है। वोटों का ध्रुवीकरण जात आधारित नेताओं के अब बूते की बात नहीं रहीं,ऐसा जान पड़ता हैं। आधुनिक युग में लोगों की सोच बदली है। शिक्षा का स्तर उँचा हुआ है।जात, पात का भेद उत्तर प्रदेश में कमजोर होता दिख रहा है। राजनीति को लोग समझने लगे है। यूपी की महान जनता यह जान चुकी हैं बिरादरी बाद में बिरादरी का फायदा कम और खुद के लाभ के लिए राजनीति होती है। अभी हाल ही के दिनों में अखिलेश यादव मीडिया से बातचीत में कहां कि मै यादव हूँ। उनके कहने का तात्पर्य चाहे जो भी रहा हो,लेकिन इसके राजनैतिक मायने भी है उन्होंने एक तो यह कहकर यादव समाज को उत्साहित किया कि मै यादव हूँ और उनके एक जुटता पर बल दिया और मीडिया को यह कहकर की इमानदार पत्रकार की सूची में आपका नाम है यह कहकर भाजपा पर तंज कसा। क्योंकि भाजपा का यह नारा काफी प्रचलित रहा है कि सोच ईमानदार ,काम दमदार। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भाजपा, सपा आमने सामने है। अखिलेश भाजपा का पुराना फार्मूला अपनाकर मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं तो भाजपा नये दाव अजमाकर उनके मन्शा पर पानी फेर सकती है। जगदीश सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर