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एहसान किया तो किसी से न कहना नहीं तो पाप के बनोंगे भागी,दिनेश दास महाराज
डौडी। जौनपुर। मानव जीवन में एहसान शब्द का विशेष महत्व है। एक दूसरे का सहयोग करना मानव जाति का स्वभाव है। अच्छे व बुरे वक्त पर जो व्यक्ति जिसके काम आता है उसका एहसान उसके उपर लद जाता है और वह ताउम्र एहसान से दब जाता है और कोशिश करता है कि हम भी एहसान करके उसके एहसान को उतार दूँ जिसने एहसान किया है, सामाजिक और व्यवहारिक जीवन में मानव.मानव के काम आता है। एहसान की कीमत लोग एहसान से चुकाते है। कुछ ऐसे एहसान करने वाले होते है जो कि नेकी कर दरिया में डाल की कहानी को चरितार्थ करते है।कुछ तो ऐसे है कि एहसान करने के बाद ढिढोरा लेकर पीटते है हमने उनके लिए यह किया,हम न होते तो मर्यादा चली जाती। बहुत तो ऐसे लोग होते है जो एहसान तले जीवन भर दबे रहते है। भव सागर में जो भी कुछ हो रहा है परमात्मा की मर्जी से हो रहा है। जो होना है होगा उसे रोका भी नहीं जा सकता। श्री राम जानकी मंदिर डौडी के महंथ दिनेश दास ने कहां कि धरती पर सबसे बड़ा एहसान भगवान का है। जिसनें जीवन दिया और जीने के लिये प्रकृति की संरचना की।माता पिता के एहसान का रिणी व्यक्ति सदैव रहता है। मानवता बस लोग दुख में अगर एहसान कर रहे है तो वह उनका भगवान का दिया हुआ संस्कार है। यदि एहसान करके कोई प्रचारित कर रहा है तो एक प्रकार से यह समझा जाय कि वह खुद के सामर्थ्य को दर्शा रहा है और पाप का भागी बन रहा है। भला करने वाले भला ही किये जा,बुराई के बदले दुआएं दियें जा। हर हर महादेव