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प्रधान बनाने वालों की वजह से राजतंत्र का गरिमा मय पद अब सवालों के घेरे में है

जौनपुर। प्रधान ग्राम सभा का मुख्यमंत्री है। उसका अपना मंत्री मंडल है। उसका अपना सचिव है। मिनी सचिवालय भवन है। ग्राम सभा की कार्यवाही में मनमाना पन है। ग्राम पंचायत सदस्यों से रायशुमारी न के बराबर है। ग्राम प्रधान व सचिव अपनी मर्जी के मुताबिक गांव की सरकार चला रहे है। प्रधान चाहे जिस भी ग्राम पंचायत का है। अपने कर्तव्य का निर्वहन जन सेवा के माध्यम से बखूबी कर रहा है। गांवो में विकास दिख भी रहा है। कहीं कहीं प्रधान बनाने वाले लोग है। जो धनबल के जोर से मतदाताओं को अपने सिस्टम में अरुझाकर अपना काम साध लेते है और उनका प्रधान जब जीत जाता है तो उनके दरवाजे पर टहलुआ बनकर रहता है। मालिक मुख्तियार शान में जब दरवाजे पर कोई मेहमान आता है तो बड़े अदब से बताते है कि प्रधान बना दिया है,दरवाजे पर टहल कर रहे है। प्रधान शब्द सेवा का है,महानता के बाद प्रधानता का प्रचलन है। प्रधान गौरव से अभिभूषित है। प्रधान बनाने वाले लोगो की वजह से राजतंत्र के इस गरिमा मय पद पर लोग अब तरह तरह के सवाल उठा रहें है।  जेडी सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर उत्तर प्रदेश

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