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सनराइज इण्टर नेशनल स्कूल के प्रबंधक अरुण कुमार दूबे ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार जरुरी

 जौनपुर। सनराइज इण्टर नेशनल स्कूल राजापुर नंबर दो मडियाहू के प्रबंधक अरुण कुमार दूबे से शिक्षा और संस्कार पर विशेष बातचीत हुई। जिसमे उन्होंन कहा कि बच्चो मे शिक्षा के साथ संस्कार दिया जाता है। कहा कि शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है और संस्कार जीवन का सार है जिसके माध्यम से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है। जब मनुष्य में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास होगा तभी वह परिवार, समाज और देश विकास की ओर अग्रसर होगा। 
 कहा कि समाज के बदलाव के लिए व्यक्ति में अच्छे गुणों की आवश्यकता होती है और उसकी नींव हमें हमारे बच्चों के बाल्यावस्था में ही रखनी पड़ती है। बताया कि बच्चों मे तीन गुण को आत्मसात करवाया जाता है, ज्ञान, कर्म और श्रध्दा। इन्हीं तीन गुणों से उनके जीवन में बदलाव आएगा।  
 कहा कि शिक्षा का अंतिम लक्ष्य सुंदर चरित्र है। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का पूर्ण और संतुलित विकास करता है। बच्चों में सांसारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दोनों की नितांत आवश्यता है क्योंकि शिक्षा हमें जीविका देती है और संस्कार जीवन को मूल्यवान बनाती है। शिक्षा में ही संस्कार का समावेश है। कहा कि बच्चों में भारतीय संस्कृति,भारतीय परम्पराएँ,भाईचारा, एकता आदि का बीजारोपण किया जा रहा है,जिससे उसमें खुद के संस्कार आ जाते हैं जिसकी जिम्मेदारी माता-पिता,परिवार और शिक्षक की होती है।
बचपन में परिवार के बाद विशेष रूप से बच्चों को संस्कार विद्यालय में सिखाए जाते हैं। अतः शिक्षक का कर्तव्य बनता है कि वे कक्षा तथा विद्यालय परिसर में ऐसा वातावरण उपस्थित करें जिससे बच्चों में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास हो। विद्यालय स्तर पर ऐसी गतिविधि का आयोजन होता है जिससे बच्चों में अनुशासन,आत्मसंयम, उत्तरदायित्व,आज्ञाकारिता विनयशीलता,सहानुभूति, सहयोग, प्रतिस्पर्धा आदि का विकास हो रहा है, बच्चे देश के भविष्य हैं इन्हें कुशल नागरिक बनाना हमारा परम कर्तव्य है।
चेतना-सत्र के दौरान नियमित रूप से बच्चो मे
सदा सत्य बोलने, दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहने,माता-पिता, शिक्षक और बड़ों का सम्मान करने,ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखने, सहनशील बनने,कर्तव्यनिष्ठ बनने और सबों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करने जैसे सुविचार के लिए प्रेरित किया जाता है।
चरित्र निर्माण शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
  


















 

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