वाराणसी। काशी सत्य की नगरी है। सांस्कृतिक विरासत मे बाबा भोले नाथ की बसाई नगरी उनके प्रताप से दिव्य है,भव्य है। अध्यात्मिक महात्म्य ऐसा कि हर पल ईश्वर की अनूभूति निर्मल मन को मिल रहा है। मंदिरो के शहर मे बाबा विश्वनाथ की असीम कृपा काशीवासी को प्राप्त है। जीवन का अंतिम सत्य मौत है। इस पावन नगरी मे अमृतरुपी बना रस का भण्डार है। जिसका रसास्वादन करके आत्मा तृप्त होती है। मन शांत हो जाता है। भगवत भजन मे आत्मा रमते, रमते रामत्तव को प्राप्त होने लगता है। शिवत्व और रामत्तव मे एक दूसरे का आपस मे स्मरण है। चिन्तन है। भजन है। ध्यान का पराकाष्ठा है। आत्म मिलन है। भाव भगवान का है। ध्यान शंकर का है। मोक्ष की नगरी काशी मे आत्मा का उद्धार होता है। भक्ति मे इतनी शक्ति है कि मनुष्य भजन सिमरन स्वाध्याय के माध्यम से खुद मे ईश्वर की अनूभूति के फल का स्वाद महसूस करने लगता है। काशी का शब्दो मे वर्णन नही किया जा सकता। काशी शुद्ध रुप से परमात्मा से मिलने का धाम है।साक्षात शिव और जीव के खेला मे जब तक शिवत्व है। तब तक जीव का अस्तित्व है। बाद मे अवस्था शव का हो जाता है। रामत्तव है तो जीवन है,फिर समय उल्टा हो जाता है मरा की बात आती है। विश्व नाम मम नाथ पुरारी,त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी। भाजपा के शासनकाल मे भारत की मूल संस्कृति को बढ़ावा मिला, जिसका असर बदलाव के रुप मे दिख रहा है। काशी का नजारा अब दुनिया के लोगो को मनभावन लगने लगा है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से ही मानव का कल्याण संभव है। भारत देश की प्रकृति की अपनी बहुमुखी क्षमता है। जरुरत के मुताबिक प्रकृति नेता तैयार करती है। मोदी और योगी समय की मांग है। प्रकृति की चाह है। बनारस के विकास के साथ प्रदेश और देश का हर क्षेत्र मे विकास बाबा विश्वनाथ की कृपा है। सावन का बहार है। हल्का,हल्का फुहार है। शिव भक्तो की आस्था है। भोलेनाथ की कृपा है। देश बदल रहा है। सोच बदल रहा है। नये भारत की नई, नई तकनीकी का दुनिया लोहा मान रहा है। रोटी, कपडा और मकान,सड़क पानी बिजली चिकित्सा शिक्षा जैसी जनबुनियादी सुविधा से अमूमन लोग भरपूर लाभ ले रहे है। जिन्दगी का आनंद लोग अपने तरीके से ले रहे है। जेडी सिंह संपादक
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