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योगी सरकार मे गांवो का विकास तो हो रहा है,भ्रष्टाचार लगभग खत्म होने की ओर है,कमीशनखोरी चरम पर है,रामनगर ब्लाक मे गैर प्रधानो का है बोलबाला

जौनपुर। योगी सरकार मे विकास तो हो रहा है। भ्रष्टाचार लगभग खत्म होने की ओर है। कमीशन खोरी चरम पर है। दरअसल बात ग्रामीण परिवेश की है। ग्राम सभाओ के विकास मे सरकार अकूत धन खर्च कर रही है। विकास दिख भी रहा है। आन लाइन के दौर मे जो भी मद है संबंधित के खाते मे जा रहा है। धन का दुरुपयोग न हो इसके लिए सरकार का सख्त पहरा है। तरह, तरह के इन्तजाम है। अनीति कहा से हो रही है। यह समझने की बात है। ग्राम सभाओ के विकास और योजनाओ के सुचारु रुप से क्रियान्वयन के लिए खण्ड विकास अधिकारी,एडीओ पंचायत,सचिव की पारदर्शिता के साथ सक्रियता बनी है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व• राजीव गांधी के एक बात की लोग अक्सर चर्चा कर रहे है। एक बात उन्होंन कहा था कि अगर एक रुपया केंद्र सरकार गांव के विकास के लिए भेज रही है तो गांव तक महज पन्द्रह पैसे ही पहुंच रहे है। लेकिन अब वह बात नही रही। अब तो सरकार केंद्र का मद हो या राज्य का डोगल के जरिये सीधे ग्राम सभा के खाते मे डाल रही है। साथ ही जो योजना के पात्र व्यक्ति है उनके खाते मे सीधे धन पहुंच रहा है।रामनगर विकास खण्ड मे कुल 99 ग्राम सभा है। विकास के मामले मे जिस प्रधान का जैसा सामर्थ्य है वैसा विकास है। कही,कही करोड़ो रुपये का काम हुआ है तो कही लाखो मे है। मनरेगा एक ऐसी योजना है जिसमे साठ और चालीस के रेसियो से काम हो रहा है। कच्चा और पक्का काम का धारा है। विकास की पत्रावली बनाने,एमबी और स्वीकृति पर कमीशन का रेट तय है। जो परंपरागत है। पहले से चला आ रहा है। इधर कमीशन का रेट बढ़ा है। जैसी जनमानस के बीच आमतौर पर चर्चा है। जिस प्रधान के विकास का जितना बजट है उसी हिसाब से कमीशन है। अब जिस ग्राम सभा मे विकास के नाम पर अधिक मद खर्च हुआ है। उस ग्राम सभा मे समय, समय पर जांच होता रहता है। जिला मुख्यालय से अधिकारी आते है ब्लाक पर। मेहमान नवाजी होती है। इसके बाद साहब का रुख गांव की तरफ होता है। जांच का नाटक शुरु होता है। कार्यवाई नही होती है। फिर मोलभाव होता है। मामला शटल हो जाता है। रामनगर मे अक्सर जांच के लिए जिला मुख्यालय से अधिकारी आते रहते है। लेकिन खास बात है कि जांच तो होती है। पर कार्यवाई नही होती है। सरकार के सख्त पहरा के बावजूद अगर ग्राम सभाओ मे विकास के मामले मे अनीति हो रही है तो कही न कही से सरकार के लोग ही जिम्मेदार है। रही बात प्रधानो की तो उन्हे भी चाहिए जो उनका कर्तव्य है ईमानदारी से उसका पालन करते हुए खुद का और अपने ग्राम सभा का गरिमा बनाकर रखे। प्रधान पद गरिमा का पद है। जिसकी मर्यादा है। दरअसल रामनगर मे गैर प्रधानो का भरमार है। जिनका मजबूत हस्तक्षेप ब्लाक मे रहता है और अक्सर फाइल लेकर इनको ब्लाक परिसर मे देखा जा सकता है। रामनगर मे जो अधिकारी तैनात होता है। पहले तो तेवर सख्त रखता है। फिर वही परंपरागत ढर्रा अपना लेता है। जिससे माता लक्ष्मी की कृपा मिलनी शुरु हो जाती है। जेडी सिंह संपादक

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