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मनरेगा बाबा कृपा बनाये रखिये,तू ही पालन हारे,सबके द्वारे,तोहार महिमा अपार बा, दोहरा चरित्र मे मन की स्वच्छता जरुरी, राम-राम

रामनगर। जौनपुर। दोहरा चरित्र अगर आपका है तो मन की स्वच्छता और निष्पक्षता रखिये। मन का पाप खुद के तकदीर और तस्वीर पर प्रभाव डालता है। लालच मनुष्य को किधर का नही छोड़ता। आज कुछ ऐसे मानव है जो येन-केन प्रकारेण सरकारी धन पर नजर रखते है। मनरेगा योजना के कच्चा, पक्का के खेला मे जो जितना बहादुर लड़ाका है। उतना छक्का,चौका जडकर अंक रुपी आर्थिक गणित को बेहद मजबूत बना लिया है आगे की सोच मे आर्थिक साम्राज्य बनाना है। ताकि जब चुनाव आये तो खुद है तो ठीक है नही तो मनई,मजदूर को प्रधान बनाकर गांव के सरकार के सत्ता का सुख भोगा जा सके। कुछ ग्राम पंचायतो मे करोड़ो रुपये विकास पर खर्च, फिर उतने की स्वीकृति। मेहरबानी पहले से उन्ही गांवो पर, फिर उन्ही गांवो पर दरियादिली रहम, आखिर किस बात को दर्शा रहा है। ऐसे भी ग्राम सभा बहुत मिल जायेगे,जहा मनरेगा का कच्चा और पक्का के रेसियो से कम काम है। आखिर कुछ ही ग्राम सभा मे बहुत ज्यादा धन खर्च की वजह क्या हो सकती है। स्वीकृति पर स्वीकृति का रहस्य क्या हो सकता है। शासन, प्रशासन का अनेकानेक जाच भी महज छलावा साबित हो रहा है। मोदी और योगी सरकार मे गांवो का विकास हुआ है। लाभार्थी किसी न किसी रुप मे अमूमन लोग है। सरकार की सोच धरातल पर है। मनरेगा बाबा की महिमा अपार है। धन का कोई ओर छोर नही है। गांव की सरकार चाहे जितना धन अपव्यय कर सकती है। सरकार का धन मनरेगा मे बिलंब से मिलता है। इधर श्रमिक को काम करने के बाद तुरंत पैसा चाहिए। जो ग्राम सभा कमजोर है। काम नही करवा पा रहा है। इन दिनो ग्राम सभाओ मे ठेकेदारी का प्रचलन बढ़ा है। जिसके पास पूजी है वह कई ग्राम सभाओ मे मनरेगा के बड़ी बजट की योजना पर काम कर रहा है। आन लाइन खेला है। जिसका जो बजट है वह खाते मे है। श्रमिको के खाते मे जो धन जाता है ठेकेदार उसे कुछ धन देकर खाते से निकलवा लेते है। श्रमिक काम के बाद रोज पैसा लेते है। सरकार के पारदर्शिता मे कही से कोई कमजोरी नही है। ठेकेदारो ने बहुत से ग्राम सभाओ का मोलभाव कर लिया है और लाखों करोड़ो का काम कर रहे है। ठेकेदार तो सरकार का सहयोग कर रहे है। सरकार का धन पाच से 6 महीने भी लग जाते है। आने मे। ऐसे मे बहुत से प्रधान क्रेडिट पर मटेरियल गिरवाते है और काम करते है। विकास का पहिया चल रहा है। कुछ ऐसे भी प्रधान है। ठेकेदार से काम करवा रहे है। सरकार की मन्शा पूरा हो रहा है। चूँकि ठेकेदारी प्रथा मे बहुत लोग आ चुके है। मन्शा है ज्यादे से ज्यादे ग्राम सभा पाले मे हो और अधिक धन लाभ मिले। स्वीकृति भी दनादन है। आगे लोकसभा चुनाव है। बजट ज्यादा स्वीकृत करवाके ठेकेदार विकास की गति को तेज करने के फिराक मे है। मनरेगा मे लोग अक्सर दाव बैठाते है। मास्टर रोल के खेला मे मजदूरो की संख्या अत्यधिक हो जाती है। काम दिवस बढ जाता है। लाखों-करोडो के खेल मे कभी कोई हाबी तो कभी कोई हाबी। दो ईकाई के लोग मनरेगा विकास कार्य बढ़ाने को लेकर सक्रिय है। मनरेगा बाबा कृपा बनाये रखियेगा। तू ही पालन हारे,सबके द्वारे,महिमा तोहार अपार बा। जगदीश सिंह संपादक

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