जौनपुर। डेरा जगमाल वाली सिरसा हरियाणा के पूज्य संत बहादुर चंद वकील साहिब गुरुवार की सुबह अपना जिस्मानी चोला छोड़ दुनिया से अलविदा हो गये। भारत सहित विदेशो के करोड़ो भक्तो मे बाबा जी के निधन की खबर से शोक है। भक्त जन उनके यादो मे खोये है और शरीर छोड़ने का भक्तो मे गहरा दुख है। बाबा जी का पार्थिव शरीर आज दोपहर मे लगभग 3•30 बजे के आस-पास डेरा जगमालवाली लाया जायेगा। भक्तो के दर्शनार्थ पार्थिव शरीर को रंखा जायेगा। संत संस्कार के तहत शरीर को पंचतत्व मे विलीन किया जायेगा। नेकी के राह पर चलने और भजन सिमरन करने के लिए महाराज जी भक्तो को सदैव प्रेरित करते रहते थे। घण्टो,घण्टो बैठकर सिमरन करते और शिष्यो को भी साथ बैठाते। एक दिव्य संत का दुनिया छोड़कर जाना एक प्रकार से देखा जाय तो बहुत बड़ी देश की हानि है। जिसकी भरपायी नही की जा सकती है। पूज्य संत वकील साहिब बनारस के प्रेमी जब आश्रम जाते और महाराज जी का दर्शन करते तो महाराज जी बहुत खुश होते थे और कहते बनारस के लोग आये है इनका विशेष ख्याल रखना। सन 2002 मे डेरा जगमालवाली के पूज्य संत बहादुर चंद वकील साहिब बनारस आये, संतो,भक्तो से मुलाकात किये और अयोध्या गये। जौनपुर जिले के रामनगर विकास खण्ड के सतगुरु धाम बर्राह मे सतसंग किये। खास बात है कि आश्रम का नाम महाराज जी ने दिल्ली आश्रम मे सतगुरु धाम रंखा था। महाराज जी के साथ आये संत महात्माओ ने एक भजन प्रस्तुत किया,जिसका बोल था राम बुलावा आयेगा एक दिन, बुलावे से ना डरियो,मर्जी भईया आपकी सिमरन करियो ना करियो,प्रवचन के दौरान पूज्य महाराज जी का मन के स्वच्छता पर जोर था। कहते मन को निर्मल करके मनुष्य खुद मे ईश्वर को महसूस कर सकता है। स्वच्छ मन मे ही स्वच्छ विचार का उदय होता है। जो मानव जीवन के लिए हितकारी है, महाराज जी खोराबीर गांव मे प्रो• लल्लन सिंह के यहा रात्रि विश्राम किये,सुबह सतसंग करने के बाद अयोध्या के लिए रवाना हो गये। पूज्य महाराज जी जौनपुर शहर के नई गंज मे चंचल सिंह के यहा सतसंग किये। स्वागत गीत अरविंद मिश्र,कन्हैया लाल पाण्डेय,सागर ने जब प्रस्तुत किया तो महाराज जी भाव विभोर हो गये। आप सबके स्वागत मे प्रेम पुष्प लाये है,धन्य हो गयी धरती जो आप यहा आये है। जब जगदीश सिंह और मायाशंकर मिश्र डेरा जगमाल वाली,रूहानी आश्रम दिल्ली जाते जोरदार अलख लगाते,धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा,जय जिन्दाराम,महाराज जी बहुत खुश होते। कोई कुछ बोलता तो संतो,भक्तो साधुओ से कहते उनको कुछ मत कहना,यह अलख जो लग रहा है। सतगुरु की मौज है। नामदान की बख्शीश पाकर जीवन धन्य हो गया। भजन सिमरन होता रहा,अलख लगता रहा। पहले पूज्य महाराज जी के दर्शन के लिए डेरा जगमालवाली,रूहानी आश्रम दिल्ली जाना होता था। चुट्टी साधु सूरदास तरती का साथ मिलता सफर बन जाता है। दर्शन पूजन के बाद वापस लौट आते। एक बार सर्व धर्म धन्य विश्व शान्ति रथ यात्रा निकाला गया। जब यात्रा रूहानी आश्रम दिल्ली पहुंचा तो महाराज जी बेहद खुश हुए,बनारस के संतो,भक्तो महात्माओ को अंग वस्त्र भेटकर स्वागत किया। रथ यात्रा के दौरान तरती के हृदय नारायण,डायरेक्टर गुरु गंभीर रुप से बीमार हो गये। महाराज जी के कृपा से उपचार हुआ ठीक हो गये। इधर बीच कई सालो से महाराज जी का दर्शन करने की इच्छा थी,भृगु महात्मा से बात हुई आने की बात कही बोले आओ दर्शन कर जाओ,वीरेंद्र जी से बात हुई महाराज जी के स्वास्थ्य के बारे मे जानकारी लिया और आने की बात कही। आप ने कहा आ जाओ महाराज जी का दर्शन करके चले जाना। यह सब लगभग सात से आठ महीने से चल रहा था। इधर बीच तेजस टूडे के संपादक रामजी जायसवाल से बात हुई और महाराज जी के दर्शन करने की बात कही। राय बन गया,दिल्ली जाने की, इस बीच मनहूस खबर मिली,बाबा जी ने शरीर छोड़ दिया। आत्मा द्रवित हो गया। इच्छा बनी रही,महाराज जी का दर्शन हो जाय,लेकिन कुदरत को मंजूर न था। जगदीश सिंह संपादक