जौनपुर। मनरेगा योजना उत्तर प्रदेश सरकार के बेहद सतर्कता के बाबजूद भ्रष्टाचार का भेट चढ़ गया है। सरकारी तन्त्र की कार्य प्रणाली चिन्ताजनक है। निश्चित तौर पर फायदे के लिए कायदा बिगाडा जा रहा है। इसकी संभावना से इनकार नही किया जा सकता। मनरेगा एक ऐसी महत्वपूर्ण योजना है जिसकी देन है उत्तर प्रदेश के गांवो का चौमुखी विकास हो रहा है।लाभ की बात करे तो मोदी और योगी की सरकार ने जनता हित मे क्या नही किया है।गांवो मे विकास की बात करे तो नाली खडन्जा,इन्टरलाकिग,मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री आवास,बकरी,मुर्गी व पशुशेड के अलावा ग्राम सभाओ मे खेलकूद के मैदान को विकसित किया गया। ग्रामीण स्टेडियम भी बनाये गये है। शमशान स्थल बने है। अटल मनरेगा पार्क लोगो को आज भी अपनी ओर आकर्षित करता है। विकास कार्यो मे गुणवत्ता की अनदेखी से इनकार नही किया जा सकता है। विकास खण्ड रामनगर के अनेको अमृत सरोवर तालाबो मे बड़े घोटाले की संभावना को बल मिल रहा है। बहुत कम ही ऐसे तालाब होगे जो मानक पर खरे उतरेंगे। अधिकांश मे गडबडझाला है। सरकार सच्चाई से निगरानी कराये तो चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते है। जाच,भी बड़ी,बड़ी होती है। सब मैनेज हो जाता है। जाच पर अगर कार्यवाही होती तो आज सरकारी धन का बंदरबांट न होता है। कमीशन लेने और देने वालो से बात करिये तो लोगो की घिग्घी बंद हो जाती है। देने वाला और लेने वाला का मुंह सील जाता है। जैसे एक लाख का कोई काम होता है तीस प्रतिशत कमीशन हो जाता है। जैसा की बात हवा मे तैर रहा है। कमीशनखोरी की वजह से विकास कार्यो का गुणवत्ता मानक के अनुसार कम होने की संभावना है। फाइलो पर भी विकास है। विकास का घोड़ा कागज पर खूब दौडा है। अधिकारी अगर ईमानदार होते तो मनरेगा योजना मे इतनी बड़ी बेइमानी न होती है। कुछ अधिकारी ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है। सारा आइडिया इन्ही का होता है। दाव पेच तार घाट सब यही बताते है। जाच भी करते है उसमे खामिया निकालते फिर धौस देकर मोटी रकम ऐठते है। योगी सरकार की छवि को धूमिल किया जा रहा है।दिनांक 12 जुलाई 2024 के एक निरीक्षण आख्या का अवलोकन किया तो बात काफी हद तक समझ मे आया। सुशील कुमार उपायुक्त (श्रम रोजगार) जौनपुर ने विकास खण्ड रामनगर के छागापुर प्रथम, जमालापुर, और औरा ग्राम सभा मे मनरेगा योजनान्तर्गत निर्माणाधीन परियोजनाओ का निरीक्षण किया। ग्राम पंचायत छागापुर मे रोड के उत्तर अमृत सरोवर व तालाब खुदाई मे अनियमित्ता मिला,मनरेगा योजनान्तर्गत निर्माणाधीन परियोजना पर 145 श्रमिको के निर्गत मस्टर रोल के सापेक्ष निरीक्षण के समय कोई भी श्रमिक उपस्थित नही पाये गये। परन्तु निरीक्षण के दौरान उक्त परियोजना पर पूर्व मे लगभग 4,5 श्रमिको के द्वारा कार्य कराया जाना परिलक्षित हुआ। अतएव शेष अनुपस्थित 140 श्रमिको की उपस्थिति शून्य कराया जाना उचित होगा। इसी प्रकार जमालापुर मे मनरेगा योजना मे खामी मिली। 210 श्रमिको के निर्गत मास्टर रोल के सापेक्ष निरीक्षण के समय आवास निर्माण पर 65 श्रमिक एवं मेडबंदी कार्य पर 43 श्रमिक उपस्थित पाये गये। शेष 102 श्रमिको की उपस्थिति शून्य किया जाना आवश्यक है। इसी प्रकार ग्राम पंचायत औरा के निरीक्षण के समय 129 नियोजित श्रमिको के सापेक्ष निरीक्षण के समय कोई भी श्रमिक उपस्थित नही पाया गया। परन्तु तकनीकी सहायक द्वारा अवगत कराये जाने के क्रम मे 36 श्रमिको को उपस्थित मानते हुए शेष 93 श्रमिको की उपस्थिति को मस्टर रोल मे शून्य किया जाय। उपायुक्त ने उक्त ग्राम पंचायतो के मस्टर रोल निर्गत होने के बावजूद निरीक्षण के समय स्थल पर श्रमिको का न पाया जाना अत्यधिक गंभीर वित्तीय प्रकरण है। ऐसा माना, उपायुक्त ने कार्यक्रम अधिकारी/ खण्ड विकास अधिकारी रामनगर का भी जिक्र किया और निरीक्षण आख्या मे लिखा निरीक्षण भ्रमण न करने की वजह से मनरेगा के निर्माणाधीन परियोजना समय से बिलंब हो सकता है। खण्ड विकास अधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि निर्गत मास्टर रोल के सापेक्ष अनुपस्थित श्रमिको की उपस्थिति तत्काल शून्य कराये तथा निरीक्षण मे पायी गयी खामियो के संबंध मे समस्त संबंधित से स्पष्टीकरण प्राप्त कर नियमसंगत कार्यवाही सुनिश्चित कराते हुए अपने मन्तव्य सहित सुस्पष्ट आख्या कार्यालय को तीन दिवस के भीतर उपलब्ध कराये। साथ ही एन•एम,एम,एस करके अधिक संख्या की उपस्थिति दर्ज करने वाले का पक्ष सुनते हुए उसके विरुद्ध कार्यवाही हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करे। सवाल उठता है मनरेगा योजना मे धांधली के लिए जिम्मेदार कौन है। सीधा बात सबको समझ मे आ रहा है। अधिकारी अगर सख्त और ईमानदार हो तो धांधली की संभावना कम हो सकती है। दरअसल मनरेगा योजना के काम मे ज्यादा से ज्यादा श्रमिको की उपस्थिति मस्टर रोल मे दिखाने की परंपरा वर्षो पुरानी है। यही खेला ऐसा है न जाने कितने लोग बडे अमीर आदमी हो गये। जेडी सिंह संपादक