रामनगर।जौनपुर। एडीओ पंचायत त्रिभुवन सिंह यादव ने सतगुरु दर्पण से बातचीत मे कहा कि पंचायत भवन क्रियाशील होने पर ही ग्राम सभाओ का भुगतान किया जायेगा। उन्होंने विकास खण्ड रामनगर के सभी सचिवो को निर्देशित करते हुए कहा कि खाता से भुगतान करना तभी सुनिश्चित करे जब तक पंचायत भवन क्रियाशील न हो जाय। विकास खण्ड क्षेत्र मे 99 पंचायत भवन है। जिसकी भव्यता मनमोहक है। उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है। ग्राम सचिवालय से ही ग्रामीणो को हर सुविधा उपलब्ध हो। इसके बाबत आधुनिक संसाधनो से ग्राम सचिवालय सुसज्जित है। सरकार की चाह है। गांव के लोगो को गांव मे ही हर सुविधा उपलब्ध हो। उन्हे तहसील और ब्लाक का चक्कर न लगाना पड़े। सरकार के तमाम प्रयास अब तक असफल है। एक बार फिर एडीओ पंचायत ने फरमान जारी कर पुन: पंचायत भवन के क्रियाशील करने मे जुटे है। देखिए नया ढर्रा बनता है कि वही पुराने ढर्रे को ही दोहराया जाता है। दरअसल शासन,प्रशासन लगातार पंचायतीराज व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन गाडी पटरी पर नही आ रहा है। लगभग एक ग्राम पंचायत की लागत नये मे 20 लाख के आस-पास हो सकता है।पंचायत भवन बना है लेकिन ऐसा लग रहा भवन कम खुलता है। सदन भी नही चलता है। ग्राम पंचायत सदस्यो की कोई पूछ नही। पहले गांवो मे भी पक्ष और विपक्ष होता था। गलत होने पर आवाज उठता था। डुगडुईया पीटवाकर खुली बैठक का मुनादी कराया जाता था। अब तो यह सब दूर की बात हो गयी है। आखिर वजह क्या हो सकता है। सरकार के लाख प्रयास के बाबजूद अभी तक पंचायत भवन क्रियाशील न हो सका। कम ही ऐसे ग्राम सभा हो सकते है जो पंचायती राज व्यवस्था के नियम और कानून के तहत गांव की सरकार चला रहे होगे। काश लोकसभा,विधान सभा की तरह गांव की सरकार मे पक्ष और विपक्ष होता। सभी वार्डो के चुने ग्राम पंचायत सदस्य अपने,अपने वार्डो के विकास का ऐजेन्डा तय करते,विकास के मुद्दे पर सदन मे बहस होता,महत्वपूर्ण बातो को कार्यवाही रजिस्टर मे लिखा जाता है। इसके लिए प्रधान और ग्राम सचिव की नैतिक जिम्मेदारी बनती है ग्राम सचिवालय को क्रियाशील बनाये और सदन का सत्र चले। तभी कही जाके पंचायतीराज व्यवस्था की सार्थकता का मायने लोगो के समझ मे आ सकता है।