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हर प्रकार के अपराधीओ का पुलिस कर रही है सत्यापन,सज्जनता का जीवन जीये,दुर्जनता है पीड़ादायक

जौनपुर। 10 अक्टूबर 2024। मानव समाज मे आज अपराध जैसी कुरीति है। जो मानव को पीड़ा पहुंचाती है। अपराध छोटा है, बड़ा है। जघन्य है। किसी भी प्रकार का अपराध ठीक नही। जीवन है छोटे मोटे अपराध सारी कहकर,गलती हो गयी,अब ऐसी गलती नही होगी, ऐसा कहकर लोग माफी मांग लेते है। लोग क्षमा भी कर देते है। बहुत से अपराध ऐसे भी होते है। जिसमे अपराधी बहुत दूर से खेलता है। दिमाग लगाता है। झगडा भिड़ा दिया दो पक्ष आपस मे भिड़ गये। वह दूर से तमाशा देखता है। कभी गंभीर अपराध होने पर ऐसे लोग पुलिस के रडार से बच नही पाते। दायरे मे आ जाते है। पुलिस शान्ति बना रहे। इसके लिए काम करती है। लेकिन अशांति फैलाने वाले लोग अपनी आदत से बाज नही आते। क्षेत्राधिकारी मड़ियाहू विवेक सिंह से अपराध और अपराधी पर विशेष बातचीत हुई। जिसमे उन्होंन अपराध पर अंकुश की बात कही। बताया कि हर प्रकार के अपराधीओ का सत्यापन किया जा रहा है। जब उनसे पूछा गया अपराध करने की प्रवृत्ति मनुष्य मे क्यों। उन्होंन कहा कि संगत का असर होता है। अगर कोई लुटेरा के साथ रह रहा है तो स्वाभाविक है कि उसके अन्दर भी अपराध जैसी कुसोच उत्पन्न होगी। बताया कि अपराधीओ मे दहशत आयी है। अपराध पर अंकुश लगाने का प्रयास हो रहा है। शासन संबधी जितने आदेश निर्देश आ रहे है। पालन किया और कराया जा रहा है। कुछ ऐसे अपराधी है जो शौकिया हत्या,लूट,डकैती,नकबजनी करते है। कुछ की संस्कृति होती है तो कुछ फैशन मे अपराध की ओर अग्रसर होते है। पुराने अपराधीओ को लेकर आपका क्या ख्याल है। बताया कि पुराने अपराधीओ पर पुलिस की पैनी नजर बनी रहती है। उनके हर गतिविधि पर पुलिस का नजर रहता है। बताया पुराने अपराधी नर्सरी तैयार करते है। लेकिन समय रहते पुलिस नर्सरी को फलने फूलने नही देती। जब उनसे पूछा गया अपराधीओ का चित्त अपराध की तरफ ही प्रेरित क्यों होता है सज्जनता की ओर क्यों नही। उन्होंन कहा कि जो जैसे वातावरण मे रहता है। वैसी ही प्रकृति को आत्मसात करता है। गन्दे माहौल मे जिन्दगी रम रही है तो गन्दगी मन मे भरा पड़ा है। अच्छे माहौल मे जीवन का गुजर- बशर है तो मन अच्छाई की ओर प्रेरित करता है। उन्होंन कहा व्यक्ति खुद से खुद मे सुधार ला सकता है। उत्तम सोच रखना होगा। कहा कि हर मनुष्य का बस एक ही ध्येय होना चाहिए किसी भी प्रकार के अपराध से बचे और सज्जनता का जीवन जीये,सज्जनता स्वर्ग है। दुर्जनता नरक है। जेडी सिंह संपादक

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