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विश्व स्वास्थ्य संगठन की वार्षिक आख्या है चौंकाने वाली,वायु प्रदूषण के मामले में जौनपुर विश्व का पांचवा शहर, डा•अखिलेश्वर शुक्ला

                                             जौनपुर प्रकृति प्रदत्त वायु में हानिकारक तत्वों का सम्मिश्रण ही वायु प्रदूषण है। मनुष्य,पशु, पक्षी,जीव-जन्तु, पेड़ -पौधों के साथ साथ इमारतों के लिए भी नुकसानदायक होता है। यही नहीं घातक रोगों (कैंसर, अस्थमा, हार्टअटैक, ब्रोंकाइटिस आदि) मृत्यु के कारण बनते हैं। ओजोन परत के क्षरण से लेकर अम्लीय वर्षा की स्थिति पैदा होती है।                                                       जीवन में शुद्ध भोजन,जल, वायु तीन आवश्यक आवश्यकता है। उसमें भी वायु के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। धुल, धुआं, गैस (कार्बन डाइऑक्साइड -CO2, सल्फर डाइऑक्साइड -SO2, कार्बन मोनोआक्साइड -CO आदि) प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारक हैं।                                                                      विश्व स्वास्थ्य संगठन वायु प्रदूषण के प्राप्त आंकड़े को समय समय पर प्रकाशित करता रहता है। वर्ष -2021के प्रकाशित प्रदुषित विश्व के पंद्रह शहरों/नगरों में ऊपर से  "जौनपुर" पांचवें स्थान पर है। पंद्रह शहरों में 10- शहर/नगर केवल भारत के हैं। इस प्रकार "भारत" की स्थिति पहले पायदान पर है। चार शहरों के साथ "पाकिस्तान" दुसरे तथा एक शहर के साथ "चीन" तीसरे स्थान पर है। केवल भारत को देखा जाए तो 05 शहरों के साथ उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर, 03 शहरों के साथ हरियाणा द्वितीय स्थान पर ,‌ राजस्थान और दिल्ली एक -एक के साथ तृतीय स्थान पर है। वैसे  विश्व रैंकिंग में राजस्थान का भिवंडी प्रथम तो दिल्ली चौथे रैंक पर है। उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद द्वितीय और चीन का एकमात्र  Hotan(Xinjiang) चौथे स्थान पर है। इसके बाद पांचवें स्थान पर उतर प्रदेश का ऐतिहासिक शहर "जौनपुर" है। यह तथ्य इसलिए चौंकाने वाला है कि आम जन की बात तो दूर बुद्धिजीवी वर्ग भी इस चिन्ता को कभी जाहिर करना मुनासिब नहीं समझा। यह एक अत्यंत ही चौंकाने वाला तथ्य है। जिसे लेकर भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, जौनपुर के प्रशासन सहित आमजन को सचेत हो जाने की आवश्यकता है। जिसके लिए विकास के विभिन्न क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से सतर्कता पूर्वक कार्यों को अंजाम देना होगा।                                                         प्रत्येक वर्ष होने वाले बृक्षारोपण का लेखा-जोखा का न होना, सड़कों के निर्माण में अन्य विभागों ( जल कल,विजली,नाली आदि) से तालमेल का अभाव, औद्योगिक विकास, नशा (सिगरेट),धूल-धूआं सहित जंगल,पेड़ों की कटाई अनावश्यक प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ पर ब्यापक दृष्टि अपनाने की आवश्यकता है। तभी हम हमारा शहर, प्रदेश और देश स्वच्छ, स्वस्थ व खुशहाल होगा। अन्यथा हमारी अगली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।........ वसुधैव कुटुंबकम् को मानने वाले- * प्रकृति पूजक भारत की जय हो। *                                                डॉ अखिलेश्वर शुक्ला विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, राजा श्री कृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर-222001(उप्र) भारत।

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