जौनपुर। दुनिया के सभी धर्मो के लोगो को कट्टरता छोड़नी होगी। मानव,मानव एक समान की अवधारणा को लेकर आगे बढ़ना होगा। हर मानव के अन्दर पाजटिव और निगेटिव उर्जा है। दुनिया के सभी धर्म सत्य पर आधारित है।वर्तमान समय मे असत्य का बोलबाला है। नफरत का जमाना है। प्रेम मे पुलकित होकर समूची प्रकृति मे उस तत्व का दर्शन करिये जो अजेय है। अजन्मा है। आकाश, धरती,जल,वायु,अग्नि को देखिए और महसूस करिये और जो क्रियात्मक घटना घट रही है।वह मनुष्य के सोच पर है। अच्छाई धर्म है। बुराई अधर्म है। मानव मे ही धर्म भी है और अधर्म भी है। वही दुनिया का अपने अपने तरीके से व्याख्यान कर रहा है। गुण अवगुण निहार रहा है। मनुष्य गुणी भी है। अवगुणी भी है। दाता है विधाता से जुड़ा है। दया का सागर है। निर्दयी भी है। वैचारिक तरंगो मे नफरत का दरिया बह रहा है। राजनीति गुरु सबको नचा रहे है,अपनी, अपनी विचारधारा मे आम जनमानस को बांधे है, सृष्टि को रचने वाले ने जात, पात धर्म, मजहब को नही बनाया। यह सब इन्सान के बनाये है। दुनिया के सभी धर्म मानव कल्याण के लिए कार्य कर रहे है। देश दुनिया मे अधर्म बढ़ा है। जिससे मनुष्य दुखी है। दुनिया के सभी धर्म अच्छे है। जिसमे मानवता की बात है। भारत देश महान है। जहा सभी धर्मो के लोग रहते है और अपनी, अपनी आस्था के अनुसार ईश्वरीय तत्व का बोध कर रहे है। दास जगदीश सतगुरु धाम बर्राह मड़ियाहू जौनपुर