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30 मई पत्रकारिता दिवस विशेष: तलवार और कलमकार ने अंग्रेजी हुकुमत को देश छोड़ने के लिए किया मजबूर, पत्रकारिता मे एक से एक घूसे माफिया,उनका मकसद है दुकान चलाना और धन कमाना

जौनपुर। जमाना बदल गया है। अखबार पत्रकार और पत्रकारिता विषम परिस्थितओ के दौर से गुजर रहा है। कहावत है इतिहास दोहराया जाता है। अंग्रेजी हुकुमत के दमनकारी नीतियो से भारत देश का प्रथम अखबार उदन्त मार्तण्ड ने जमकर लोहा लिया। संपादक जुगल किशोर शुक्ल को भी यातना झेलना पड़ा। उस समय कोलकता मे ईष्ट इडिया कम्पनी पूरी तरह से पाव पसार लिया था। अत्याचार असहनीय था। कानपुर निवासी श्री शुक्ल ने कोलकता से साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन शुरु किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत विरोधी मानसिकता को शुक्ल जी समझ गये थे। अखबार की क्रान्ति से अंग्रेज बौखला गये और अखबार के संचालन मे बाधा डालने का भरसक प्रयास करते रहे। लेकिन असफल रहे। भारत के वीरो से न रहा गया,अंग्रेजो से सीधा टक्कर होने लगा। उनके दमनकारी नीति को कुचला जाने लगा। एक तरफ तलवार तो दूसरी तरफ कलमकार ने देश की आजादी मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम किया है। आज यूट्यूब पत्रकारिता का जमाना है। चैनल का भरमार है। जिधर देखिये उधर तमाम सोशल मीडिया के पत्रकार माइक आईडी लिये पत्रकारिता के पोजीशन को थामे है। पहले पत्रकार और पत्रकारिता का एक गरिमा था। आज भी है लेकिन लोग वह बात नही है। पत्रकार के मुह पर ही पत्रकारो को लोग भला बुरा कहते है। जिसके सामने कहते है उसको बहुत ही अच्छा पत्रकार बताते है। जब वह चला जाता है तो पीठ पीछे उसको भी गरियाते है। यूट्यूबर भी अच्छी सोच की पत्रकारिता कर रहे है। जिसमे न्यूज सेन्स है। ऐसे संख्या मे कम लोग है।आज खबरो मे निष्पक्षता के बजाय पक्षपात होता है। खबर देखने के बाद जनता यह जान जाती है खबर का आशय क्या है। पत्रकारिता का विधा क्रान्तिकारी है। सच्चाई से पत्रकारिता धर्म का पालन किया जाय तो देश की तकदीर और तस्वीर बदल जाय। विश्व बन्धुतत्व का अपनत्व हर जेहन को भाने लगे। वर्तमान समय मे आन लाइन पत्रकारिता का क्रेज है। आत्मन मनन चिन्तन पत्रकारिता का सूत्र है। खबर एक संदेश होना चाहिए, जिससे लोगो का हित हो,गलत और सही का मूल्यांकन करके न्याय की पत्रकारिता करना चाहिए। जिससे न्याय मजबूत होगा और अन्याय कमजोर होगा। आज के दौर मे अन्याय के खिलाफ पत्रकारिता करना भी घातक है। जान जोखिम मे रखकर कब तक कोई पत्रकारिता करेगा। इसकी पत्रकारो को चिन्ता रहती है। पत्रकारिता के क्षेत्र मे काम करने वालो मे सभी अच्छे नही है। इसमे कुछ ही लोग है जो पत्रकारिता धर्म का पालन कर रहे है और मिशन के वजूद को बचाने का भरसक प्रयास कर रहे है। पत्रकारिता जगत मे भी एक से एक माफिया घूस आये है। जिनका मकसद है पत्रकारिता का धौस देकर धन कमाना, और अपनी दुकान चलाना। पत्रकारिता का मकसद मानव कल्याण का होना चाहिए न कि किसी को पीड़ा पहुंचाने की। जगदीश सिंह संपादक

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